गोरखपुर।नोटबंदी के चलते गोरखपुर के दिहाड़ी मज़दूर नसबंदी कराने पर मजबूर हैं। पूर्वा पोस्ट की खबर के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 8 नवंबर को घोषित नोटबंदी के बाद बेरोज़गार हुए दिहाड़ी मज़दूर पेट भरने के लिए तेजी से नसबंदी करवा कर पैसा कमाने का विकल्प चुन रहे हैं।
सरकारी योजना के तहत यूपी में सरकारी सुविधाओं में नसबंदी करवाने के बदले व्यक्ति को 2000 और निजी प्रतिष्ठान में 1000 रुपये दिए जाने का प्रावधान है। ख़बर के मुताबिक गोरखपुर में 8 नवंबर के बाद 38 दिहाड़ी मजदूरों ने नसबंदी करवाई है। प्रकाश क्लीनिक के टीम लीडर के हवाले से बताया गया है कि नोटबंदी के फैसले के बाद नसबंदी की प्रक्रिया में तेज़ी आई है क्योंकि मजदूर खाली बैठे हैं और उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है।नसबंदी करवाकर हजार दो हजार रुपया हासिल करने का आसान तरीका लग रहा है।

ख़बर में एक निजी क्लीनिक के हवाले से कहा गया है कि जिन मजदूरों को पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नसबंदी करवाने के लिए राज़ी करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी वे 8 नवंबर के बाद से खुद ही इसके लिए निजी क्लीनिकों में चलकर आ रहे हैं। सरकारी योजना के तहत यूपी में सरकारी सुविधाओं में नसबंदी करवाने के बदले व्यक्ति को 2000 और निजी प्रतिष्ठान में 1000 रुपये दिए जाने का प्रावधान है।
गोरखपुर में 8 नवंबर के बाद 38 दिहाड़ी मजदूरों ने नसबंदी करवाई है। वहां के एक निजी क्लीनिक के टीम लीडर के हवाले से बताया गया है कि नोटबंदी के फैसले के बाद उनके यहां नसबंदी के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है।
8 नवंबर को लागू नोटबंदी के बाद बीते 20 दिनों में 2014-15 के राज्यवार नसबंदी के सरकारी अनुपात से यह छह गुना ज्यादा इजाफा हुआ है।