मेरठ: हिजाब मुस्लिम सभ्यता का एक पारम्परिक हिस्सा है। भारत जैसे लोकतांत्रिक और संस्कृति के धनी देश में महिलाएं हिजाब पहनने या नहीं पहनने उन्हें इसकी पूरी आज़ादी हासिल है। हालांकि इसके बावजूद मुस्लिम महिलाओं की आज़ादी को लेकर समय-समय पर सवाल उठाए जाते रहे हैं।
कुछ लोग यहां तक कहते हैं कि हिजाब मुस्लिम शिक्षा और विकास में एक बाधा है। लेकिन इन सभी सवालों के विपरीत मुस्लिम लड़कियों ने, और लड़कियों ने हिजाब में रह कर उदारवादता के साथ न केवल अपने कौशल बखुबी प्रदर्शन कर रही हैं बल्कि समाज की दूसरी लड़कियों के लिए भी एक मिसाल बनकर सामने आ रही हैं।
ऐसे ही उदाहरण में मेरठ विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हुमा और हिना भी शामिल हैं, जिन्हें इसी साल विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र वितरण समारोह में गोल्ड मेडल दिया गया है।
हुमा ने जहां विज्ञान संकाय से एम. फिल ज्योलॉजी में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया है, वहीं हिना को उर्दू से एम. फिल में टॉप करने के लिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया है।
ये दोनों लड़कियां इस्लामी माहौल में पली-बढ़ीं हैं। दोनों के पोशाक में हिजाब एक अहम हिस्सा रहा है। वे कहती हैं कि वो हिजाब पहनती हैं लेकिन उनके शिक्षा और विकास के रास्ते में यह उनके लिए कभी बाधा नहीं बना। देखा जाए तो हिना और हुमा का यह बयाम उन सभी सवालों का जवाब है जो हिजाब को विकास के शिक्षा-दीक्षा के रास्ते में बाधा बताती हैं।
यह उन लोगों के लिए भी एक जवाब है जो बुर्का और हिजाब को मुस्लिम महिलाओं की तरक्की में बाधा मानते हैं। बता दें कि मेरठ विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र वितरण समारोह में इस साल कुल 36 गोल्ड मेडल दिए गए, उनमें में 25 गोल्ड मेडल छात्राओं ने हासिल किए हैं। यहां लड़किया अलग-अलग विभागों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। इन में बड़ी संख्या मुस्लिम लड़कियों की है।
देखा जाए तो मुस्लिम समाज में हिना और हुमा ही नहीं बल्कि उनकी जैसी हजारों लड़कियां जो आज पर्दे पर उठने वाले सवालों का जवाब दे रही हैं। यह न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा बल्कि अन्य मैदानों में भी हो रहा है।