गौरक्षकों का भय : छोड़ दिया पशुपालन का पुश्तैनी पेशा

अहमदाबाद। युनूस सिंधी और उनके परिवार ने स्वघोषित ‘गौरक्षकों’ द्वारा बनाये जा रहे माहौल के बीच छह पीढ़ियों से करते आ रहे पशुपालन के पेशे को छोड़ने का फैसला ले लिया है। 42 वर्षीय सिंधी ने कहा कि अब इस भय के माहौल में गायों के साथ बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है।

 

 

 

 

 

अहमदाबाद के मुस्लिम बहुल पटवा शेरी इलाके में परिवार के साथ रह रहे सिंधी ने कहा कि देखिए कैसे अलवर में पहलू खान को गौरक्षा के नाम पर मार डाला गया। ऐसे माहौल में हम रिस्क नहीं ले सकते हैं। हम बीमार गायों को डॉक्टर के पास गाड़ी से भी नहीं ले जा सकते हैं।

 

 

 

 

कथित गौरक्षक हमें कभी भी और कहीं भी रोक सकते हैं क्योंकि हम मुस्लिम हैं। सिंधी ने कहा कि पहले कभी हमारे पास 150 गाएं थीं और हम दूध बेचते थे। अब हमारे पास 2 गाएं और 4 बछड़े हैं।

 

 

 

 

 

हमें अब आकस्मिक भी पशुओं के डॉक्टर को घर पर बुलाना पड़ता है। युनूस के छोटे भाई युसूफ ने कहा कि हम गायों की इज्जत करते हैं। हम इनके दूध पर ही पले बढ़े हैं। हमने गाय के लिए कभी डंडे तक का इस्तेमाल नहीं किया।

 

 

 

 

हम उन लोगों के सख्त खिलाफ हैं जो गायों को चुराकर गोकशी कर देते हैं। हम गोहत्या के पक्षधर नहीं हैं, क्योंकि यह कानून के खिलाफ है और गाय को हिंदू धर्म में पवित्र भी माना गया है।