गौरक्षा और गौसेवा के लिए आगे आएं देश के मुस्लिम: सैयद जैनुल आबेदीन अली खान

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान जोकि सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज हैं का कहना है कि हिंदुओं के साथ-साथ गोवंश की रक्षा के  लिए मुसलमानों को भी आगे आकर योगदान देना चाहिए। उनका कहना है कि कुछ शरारती तत्व गौमांस के मुद्दे पर देश का माहौल बिगाड़कर देश को ‘गृहयुद्ध’ की तरफ धकेल रहे हैं।  गौमांस की आड़ में देश का माहौल सांप्रदायिक करने वालों को एहतियात बरतना चाहिये जिससे दोनों सम्प्रदायों के बीच विश्वास की भावना कायम हो क्यूंकि अगर हिंदू मुसलमान से खौफ खाएगा और मुसलमान हिंदू से डरेगा तो देश सिर्फ और सिर्फ विनाश की ओर जाएगा। हिंदुओं की आस्था का प्रतीक गाय आज धर्म का एक नया हथियार बन चुका है। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी अपने उपदेशों में गौमांस के सेवन का सख्ती से मना किया है और इसके साथ बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में अपने पुत्रों से कहा कि हिंदुओं की भावनाओं की इज्जत करनी चाहिए।  इसीलिए मुगल साम्राज्य में कहीं भी न तो गाय की कुरबानी दी जाए और न ही गायों को मारा जाए। देश के मौजूदा माहौल में जिस तरह धर्मांतरण और गौमांस जैसे मुद्दों को उछाला और तूल जा रहा है इससे लगता है समाज का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।