केंद्र और राज्य सरकारों को गौरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न प्रदेशों के नेताओ और कार्यकर्ताओं द्वारा गौ रक्षकों के याचिका दायर की गयी थी और इन गौ रक्षकों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गयी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में गौरक्षा समितियों की हिंसा को ले कर एक याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न प्रदेशों से गौ रक्षा के नाम हो रही हिंसा की ख़बरें आने के बाद इसकी जांच के तैयार हो गया है। साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को भी गौ रक्षा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का आदेश दिया है।

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न्यूज़ नेटवर्क प्रदेश 18 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 6 राज्यों से हिंसा से जुड़े मामलों की जानकारी भी प्रदान करने के लिए कहा है। खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिन छह राज्यों को यह बात कही है, उनमें से पांच राज्यों में बीजेपी की सरकार है ।
जनहित के तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह एक वकील नियुक्त करे, जो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मदद करेगा. कोर्ट ने आवेदन की कॉपी छह राज्यों को भेजने का भी आदेश दिया है। यह राज्य कोर्ट को अपने यहां हुए मामलों से अवगत कराएंगी। इन राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल है।

उल्लेखनीय है कि गौ रक्षकों के हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में अगस्त में कांग्रेस नेता और वकील तहसीन पुनेवाला ने एक याचिका दायर की थी और आरोप लगाया था कि दलितों और अल्पसंख्यकों कुछ संगठनो द्वारा गौ रक्षा के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है।
देश के अलग अलग हिस्सों से बीते समय में गौ मांस खाने एवं गाय का व्यापार करने के जुर्म में कई लोगों को पीटने की खबरें सामने आई थी।
एक साल पहले घर में गौमांस पका कर खाने पर ग्रेटर नॉएडा के एक गाँव दादरी में अख़लाक़ नाम के एक शख्स की हत्या कर दी गयी थी। लेकिन जांच में पता चला था की घर में बनाया गया मांस गाय का नहीं था।
एक महीने पहले चार दलितों को गुजरात में गौरक्षकों द्वारा सिर्फ इसलिए मारा गया कि वह गाय को लेकर कही जा रहे थे।
नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि गौरक्षक जो सिर्फ हिंसा फैला रहे हैं वह सब समाज को तोड़ने का काम रहे हैं।