ग्लेमर होता लोकतंत्र का “चौथा स्तम्भ”

टी आर पी की दुनिया सबसे अजीब होती है| उसका कोई सिद्धांत नहीं होता और न ही कोई सरोकार| बस उसको लोकप्रियता चाहिए केसे भी कर के | इसका समाज पर क्या असर पड़ेगा इससे कोई मतलब नहीं है| वो अपने माध्यमों से किसी न किसी व्यक्ति द्वारा कुछ न कुछ करवाती रहती है| उसकी प्रोफाइल बोल्ड कर दी जाती है जिससे ज़्यादा चल सके| इन्सान से लेकर मशीन तक या फिर सिनेमा से लेकर टेलीविज़न तक, हर जगह अपने आप को आगे रखने की होड़ में अपने सिद्धांतो को अपनी जिम्मेदारियों को कहीं पीछे छोड़ आयें हैं| आज न्यूज़ चैनल्स ने टी आर पी के चक्कर में सारी हदें पर कर दी| वर्तमान समय में न्यूज़ चैनल्स में हर एक वो चीज़ देखने को मिलती है, जो बाकी संस्थानों से मिलती थी आज न्यूज़ चैनल्स में कंडोम के ऐड से लेकर वियाग्रा की गोली तक खिलाई जाती है|  श्लील से अश्लील की तरफ बढ़ते क़दम रुकने का नाम नहीं ले रहे|

ये हाल हर एक संस्थान में है इसकी शुरुआत सिनेमा से हुई| उसने तो डिग्री हासिल कर ली बोल्ड फिल्म बनाने की एक वक़्त था जब “हम साथ साथ हैं” परिवार के साथ बैठ कर देखते थे| आज वही सिनेमा ने हमें  “हम आपके हैं कौन”  से लेकर “अलोन”  तक कर दिया| अब वो दिन ज़्यादा दूर नहीं जब पोर्न फिल्म भी सिनेमाघरों में बक़ायदा रिलीज़ होंगी| आज की फिल्म में किसी सन्देश का तो पता नहीं लेकिन हाँ यूथ को नए नए तरीके ज़रूर मिल जाते हैं|

अभी तक तो हम सिर्फ सिनेमा से दूर हुए थे लेकिन अब धीरे धीरे न्यूज़ चैनल्स से भी दूर होते नज़र आयेंगे| कभी कभी न्यूज़ भी हम परिवार के साथ नहीं देख सकते है| आज का दौर तो बिलकुल ही वेसा है जिसमें हमें न्यूज़ देखने के लिए भी प्राइवेसी ढूँढनी पड़ती है या देखते देखते चैनल्स बदलना पड़ता है| पिछले दिनों इस सबसे ज्यादा टी आर पी गुरमीत राम रहीम और हनिप्रीत के किस्से से मिल रही थी | जिसको ऐसा दिखाया जाता था जैसे लगता है कोई मस्तराम की क़िताब का पात्र पढ़ रहा हो| रोज़ उसके नए नए कारनामे चैनल्स वाले बेधड़क चला रहे थे| न्यूज़ एंकर को हनिप्रीत की ख़बर में ज़्यादा मज़ा आता है| वो आजकल ख़बरों में रोमांच नहीं बल्कि रोमांस पैदा कर रहा है| हद तो तब और होती है जब लेडी एंकर भी उनके कारनामों के क़सीदे शौक से पढ़ती है| क्या घटियापन है यार|

 

आधी रात को हम जापानी तेल  और शिलाजीत पावर के ऐड दिखा कर क्या साबित करना चाहते हैं ?  ऐसे ही चलता रहा तो यक़ीनन लोग मां-बाप के साथ न्यूज चैनल देखना छोड़ देंगे| सच में टीआरपी के लिए आगे एंकर ज़बरदस्ती कपड़े भी उतरवाते नज़र आएंगे|
अच्छी बात है, यही चलना चाहिए, लोग ऊब चुके हैं| अब कुछ नया कुछ रोमांस देखना चाहते हैं लोग| दिखा दो हनीप्रीत ने उस रात क्या पहना था, कौन सा साबुन लगाती थी, तौलिये का रंग कौन सा था,  कितने रंग के चड्डी-बनियान रखे थे| क्यूँ  यार “हनी”  को दिखा के लोगों की  “मनी”  बर्बाद करने पर तुले हो| देश में और भी बहुत समस्याएं हैं, ज़मीनी मुद्दे हैं, बेरोजगारों की परेशानी है, उन पर ध्यान दो| बंद करो फूहड़पन | कुछ ऐसा दिखाओ जो समाज के लिए भला हो जिसको देखने से समाज में परिवर्तन की भावना उत्पन्न हो| जिसको आप भी अपने घरवालों के सामने बैठ कर देख सको|
कम से कम ऐसा कंटेट चले जिसको तुम या दर्शक खुद अपने परिवार के साथ देख सको|
आप लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ हो उसकी मर्यादा का ख्याल रखो, आपकी कुछ नैतिक ज़िम्मेदारी हैं इसलिए अपने आप में कुछ तो अंतर रखो, कुछ चीजों में तो अलग दिखो|  मस्तराम के किस्से कहानियों से उत्तेजित करने वाले माहौल और ख़बरों में पैदा होने वाली भावनाओं में कुछ तो अंतर होना चाहिए|

 

शरीफ़ उल्लाह