घरों में दीनी माहौल को फ़रोग़ देने की ज़रूरत

जमात-ए-इस्लामी हिंद ज़िला वरंगल मशरिक़ की जानिब से विरुद्धना पेट वरंगल में एक आवमी इजतिमा आम मुनाक़िद हुआ । मौलाना अबदुल अज़ीज़ साबिक़ नायब अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने सदारत की । मौलाना ने अपनी सदारती तक़रीर में कहा कि गाँव-ओ-देहातों में मुस्लमानों की एक कसीर तादाद दीन की बुनियादी मालूमात से नावाक़िफ़ होने की वजह से बहुत से मसाइल का शिकार है और बहुत सारे मसाइल हल तलब है ।

ज़रूरत इस बात की है कि बुनियादी मसाइल से वाक़िफ़ हो और अपने मसाइल को दीनी , शऊरी बुनियादों पर हल करे । नमाज़ों की तरफ़ ख़ास तवज्जा देने की ज़रूरत है । मसाजिद को आबाद करें ।मौलाना ने खासतौर पर तलक़ीन की कि अपनी आने वाली नस्लों के लिए तरबियत का एहतेमाम करें ।

ज़रूरत है कि नबी करीम (स०अ०व०) की तालीमात पर अमल करें । समाज के बेहतर बनने में अपने ख्वातीन की इस्लाह करें । घरों में दीनी माहौल को फ़रोग़ दें । ज़माने क़दीम में बड़ी तादाद में बिराद्राने वतन इस्लाम से वाक़िफ़ हुए थे और कई एक इस्लाम भी क़बूल करते थे । उस वक़्त उनके सामने मुस्लमानों का किरदार एक अहम रोल अदा करता था ।

दौर-ए-हाज़िर में इस्लाम और कुफ्र में वाज़िह फ़र्क़ बिरादरान वतन के सामने नहीं आ रहा है । इन नुक़्ता-ए-नज़र से भी अपनी इस्लाह और बिरादराने वतन में दावत दीन को अपने क़ौल-ओ-अमल से देने की ज़रूरत है । इसके ज़रीया से एक अच्छे मुआशरा की तशकील में अहम रोल अदा किया जा सकता है।

इस मौक़ा पर मौलाना ने 7 अफ़राद जो तौबा करके क़ादियानियत से इस्लाम में दाख़िल हुए उनको कलिमा तैबा-ओ-कलिमा शहादत पढ़ाई गई । नारा तक्बीर कलिमा शहादत पढ़ाई । नारा तक्बीर से इजतिमा में पुरनूर दिखाई दिया गया । इस मौक़ा पर बिरादर शेब ख़ान मैंबर एस आई ओ का तआरुफ़ करवाया ।जनाब ज़िया अलीउद्दीन सिद्दीकी जमात-ए-इस्लामी हिंद हैदराबाद ने फ़िक्र आख़िरत पर तक़रीर की । जनाब अबदुर्रशीद इस्लामी हिंद हैदराबाद ने तेलगू में फ़ित्ना क़ादियानियत को को बेनकाब किया ।