घूस लेते पकड़े गये थे दो इंजीनियर, एक को राहत

सप्लाय वाटर महकमा ने एक अनोखा काम किया है। घूस लेते एक की साथ पकड़े गये दो इंजीनियरों में से एक को मूअतिल आज़ाद है, जबकि दूसरे को अभी भी मूअतिल रखा है। जिस इंजीनियर ने ज्यादा घूस लिया था वह मूअतिल आज़ाद हो गया है। कम घूस लेनेवाला अब भी मूअतिल है।

घूसखोरी का यह मामला जनवरी 2013 का है। निगरानी ब्यूरो ने आदित्यपुर डिवीजन, सप्लाय वाटर महकमा के इंजीनियर शैलेश सिन्हा को 2.70 लाख रुपये और इंजीनियर विपिन बिहारी सिन्हा को एक लाख रुपये घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा था। निगरानी में दर्ज मामले के मुताबिक वॉटर सप्लाय और हीफजान सेहत के महकमा की तरफ से निकाले गये 73 अदद ड्रिल नलकूप लगाने का काम अलोट करने के बदले में शैलेश सिन्हा ने ठेकेदार सुनील चौधरी से 2.70 लाख रुपये (फी नलकूप 3,700 रुपये) मांगे थे। जबकि विपीन बिहारी सिन्हा ने 175 अदद ड्रिल नलकूप लगवाने से मुतल्लिक़ एकरारनामा करने के लिए सुनील चौधरी से ही एक लाख रुपये की मांग की थी। रुपये नहीं देने पर दूसरे ठेकेदार से रुपये लेकर उसे काम अलोट करने की बात कही थी।

पकड़े जाने के बाद दोनों को मूअतिल कर दिया गया था। एक साल तक ज़ाती महकमा कार्यवाही चलायी गयी। कम घूस लेने वाले इंजीनियर विपिन बिहारी सिन्हा पर कार्यवाही अभी जारी है, जबकि ज्यादा घूस लेनेवाले इंजीनियर शैलेश सिन्हा पर कार्यवाही खत्म हो गयी है। उसके बाद उनको मूअतिल आज़ाद करने का हुक्म निकाला गया है।

बड़े और छोटे घूसखोर की बात नहीं है। प्रोसिडिंग में वक़्त लगता है। सुप्रीम कोर्ट का भी ओहदेदारों को मूअतिल नहीं रखने के सिलसिले में हुक्म है। जिस पर कार्यवाही पूरी हो चुकी है, उसका रजिस्ट्रेशन वापस हुआ है। दूसरे पर कार्यवाही चल रही है। अमल पूरी होने के बाद उनका मूअतिल भी वापस होगा। “ सुधीर प्रसाद, तरक़्क़ी कमिश्नर शरीक पीएचइडी के अपर चीफ़ सेक्रेटरी”