घृणा और असहिष्णुता के माहौल’ का मुकाबला नेतृत्व को दलगत विचारों से ऊपर उठना होगा- महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि राज्य में ‘सैनिक और बंदूक’ भारत के ‘एकमात्र प्रतीक’ नहीं होने चाहिए और देश को यहां के लोगों को अपना सहिष्णु और उदार चेहरा दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के लोकतांत्रिक मूल्य असहिष्णुता और सांप्रदायिकता का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं।

पीडीपी अध्यक्ष मुफ्ती ने कहा, ‘भारत को कश्मीर के लोगों को अपना उदार चेहरा दिखाना है तथा सैनिक और बंदूक जम्मू-कश्मीर में देश के एकमात्र प्रतीक नहीं होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य, सहिष्णुता और धार्मिक सद्भाव होना चाहिए जिससे असहिष्णुता और सांप्रदायिकता के ज्वार पर रोक लग सके. वह यहां पट्टन, शोपियां और कुलगाम के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि शक्तिपूर्ण नीति और राजनीतिक जोड़तोड़ से ‘अशांत राज्य में शांति नहीं आएगी’ तथा इस तरह के दृष्टिकोण विगत में ‘सकारात्मक नतीजे देने में बुरी तरह नाकाम रहे हैं।

महबूबा ने कहा कि ‘घृणा और असहिष्णुता के माहौल’ का मुकाबला करने के लिए देश के नेतृत्व और नीतिनिर्माताओं को ‘दलगत विचारों और वैचारिक मतभेदों’ से ऊपर उठना होगा और समावेशी भारत की फिर से खोज करनी होगी जिससे जम्मू कश्मीर देश के साथ करीबी रूप से जुड़ सकेगा।

साभार- ‘ज़ी न्यूज़’