चाइल्ड लेबर के खात्मे पर आइएलओ की पहल

रांची 19 अप्रैल : कमीशन के रुक्न संजय मिश्र के मुताबीक झारखंड में तकरीबन पांच लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं। ये वे बच्चे हैं, जो बेहद गरीब तबके से आते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे बाल मजदूर हैं। ये मजदूर कई अलग-अलग कामों में लगे हैं। वज़ह है कि झारखंड मुल्क के उन रियासतों में है, जहां सबसे अधिक बाल मजदूर हैं। बड़ी तादाद में झारखंडी बच्चियां हर साल दिल्ली और दीगर बड़े शहरों में घरेलू कारकून के तौर में जाती हैं।

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आइएलओ) ने झारखंड समेत पांच रियासतों में चाइल्ड लेबर के खात्मे और चाइल्ड लेबर की बाज आबादकारी से मुताल्लिक एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत चाइल्ड लेबर और उनके खानदानों की सिनाख्त करना, खानदान को एक्त्सादी आजादी जैसे प्रोग्राम से जोड़ना और मजदूरी करनेवाले बच्चों को हिन्द की तरक्की के प्रोग्राम से जोड़ने जैसे प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं। अभी हाल ही में मानेसर में मुनक़्क़द आइएलओ के कांफ्रेंस में चाइल्ड लेबर से मुताल्लिक खाद्शात को मुल्क भर की मीडिया के सामने इस्तराक किया गया। कांफ्रेंस में यह बात एहमियत से आयी कि मीडिया चाइल्ड लेबर जैसे मसायल पर ज्यादा हेसासियत के साथ जुड़े।

मीडिया को और जिम्मेदार होना होगा : कांफ्रेंस में आइएलओ, नयी दिल्ली की डायरेक्टर टाइन स्टायमोज ने आइएलओ तरफ से चिल्ड्रेन लेबर के खात्मे के सिलसिले में किये जा रहे कामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस मुताल्लिक में खास जोर दिया कि चाइल्ड लेबर के खात्मे को समाजी तहरीक के तौर पर क़ायम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया को इस मामले पर भी जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा।

बच्चे काम पर नहीं, स्कूल जायें : एक दुसरे मुक़र्रीर एनसीपीसीआर की सदर डॉ शांता सिन्हा ने चाइल्ड लेबर से मुताल्लिक गड़बड़ियों पर जानकारी दी। कहा, चाइल्ड लेबर को तहज़ीब और रवायत से जोड़ना या फिर ग़ुरबत की वजह से इसे जायज ठहराने की कोशिश की जाती रही है, जो गलत है।

हमें तरक्की के उस रेडिकल मॉडल को हौसला अफजाई करना होगा, जिसमें चाइल्ड लेबर का हर सतह पर मुखालफ़त हो। बच्चे काम करने की बजाय स्कूलों में पढ़ने जायें।