यह फुटपाथ की चाय दुकान नहीं, ‘फुटपाथ-लोकसभा’ है। यहां हर इलाक़े की बहस होती है। चाय की चुस्की पर गांव के लोगों से ले कर इजराइल और मंगल ग्रह तक की बहस होती है। चाय पर बहस के साथ ही मैं बचपन की यादों में खो गया हूं। चाय बेचते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा। तौहीन भी झेला। कई खास तजुरबा भी हुए। इस तरह की बहस मैं आगे भी करूंगा।
मजकुरह बातें बुध को गुजरात के वजीरे आला नरेंद्र मोदी ने चाय पर बहस प्रोग्राम के तहत मुल्क के 300 लोगों से बातें करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग पर कही। उन्होंने कहा कि आज मैं मुल्क के लाखों लोगों से सीधे बातें कर रहा हूं। टेक्नोलॉजी ने हमे एक दूसरे के नजदीक आने का मौका दिया है। लोकसभा इंतिख़ाब तक मैं इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करूंगा।
चाय पर बहस के एक हजार प्रोग्राम करूंगा और आप की समस्याएं सुनूंगा और नयी जानकारियां लूंगा। इंतिख़ाब बड़ा जश्न है। इसमें जम्हूरियत की पूजा होती है। इंतिख़ाब सियासी तरबियत दिलाता है।
पटना के नया टोला के चाय फरोख्त करने वाला गोपाल प्रसाद यादव ने उनसे सवाल किया कि बिहार की गरीबी और बेरोजगारी कैसे दूर होगी। बिहार में ये दोनों मसायल खत्म होने का नाम नहीं ले रही। बिहार में खेलों का तरक़्क़ी भी नहीं हो रहा। इस पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के 65 सालों बाद भी इस मोरचे पर किसी हुकूमत ने कोशिश का काम नहीं किया। बिहार में खुद के रोजगार का माहौल बनाया जाये, तो बड़ी कामयाबी मिल सकती है।