चारमीनार आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में लक्वा के मरीज़ों का ख़ुसूसी ईलाज

गवर्नमेंट निज़ामीया जेनरल हॉस्पिटल ( शिफ़ा ख़ाना चारमीनार ) की इमारत का शुमार जहां हिंदुस्तान की ख़ूबसूरत तरीन इमारतों में होता है वहीं हिंदुस्तान में फ़ालिज और लक्वा के ईलाज के लिए भी ये शोहरत रखता है जब कि इसी दवाख़ाना के एक हिस्सा में काम कर रहे आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में फ़ालिज और लक्वा का एक मुनफ़रद तरीका से ईलाज किया जाता है।

और सब से अहम बात ये है कि तिब्बी अहमियत और अफादियत की हामिल कीमती जुड़ी बूटियों और तिल के तेल के ज़रीए अंजाम दीए जाने वाले इस तरीके ईलाज के लिए कोई फीस नहीं ली जाती।

यही वजह है कि हमारी रियासत के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात के इलावा महाराष्ट्रा , गुजरात , कर्नाटक से फ़ालिज और लक्वा से मुतास्सिरा मरीज़ गवर्नमेंट निज़ामीया यूनानी हॉस्पिटल चारमीनार और इस के अहाता में मौजूद आयुर्वेदिक हॉस्पिटल का रुख़ करते हैं।

क़ारईन! राक़िमुल हरूफ़ ने आज इस तारीख़ी हॉस्पिटल का दौरा करते हुए वहां किए जा रहे इस मुनफ़रद तरीका ईलाज के बारे में जानकारी हासिल की। हमें बताया गया कि आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में पंचकर्मा के ज़रीए फ़ालिज और लक्वा का ईलाज किया जाता है आयुर्वेदा में दावे किया जाता है कि पंच कर्मा जिस्म से फ़ासिद मादों को ख़त्म करने का पुर असर तरीका है ये तरीका ईलाज पाँच मरहलों पर मुश्तमिल होता है। जिन्हें विमना , वीर्य चुना , नरोहा , नासेह , इनोवासुना कहा जाता है।

इस आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में हम ने एक अच्छी बात ये देखी कि दीगर सरकारी हॉस्पिटलों की बनिसबत मरीज़ों के साथ बहुत अच्छा सुलूक किया जा रहा था। हम ने देखा कि फ़ालिज और लक्वा से मुतास्सिरा मरीज़ों की तिल के तेल में शंबालू , नीम वतनटिक के बाशमोल पाँच जुड़ी बूटियों को मिला कर काफ़ी देर तक उसे गर्म कर के ठंडा किया जाता है और फिर उसी तेल से 45 मिनट तक मरीज़ के जिस्म की मालिश की जाती है।

लक्वा और फ़ालिज के नतीजा में मरीज़ों की ज़बानें मोटी हो जाती हैं इस लिए वो बात करने से भी क़ासिर रहते हैं ऐसे में दूध में वचा के बाशमोल चंद जुड़ी बोटियां ख़ासकर मिला कर एक कूकर में बहुत ज़्यादा दर्जा हरारत पर गर्म किया जाता है और 15 मिनट दूध गर्म करने के बाद एक पाइप के ज़रीए प्रेशर के साथ मुतास्सिरा शख़्स के ज़बान पर भाप मारी जाती है।

खासतौर पर मौसमी हालात बदलने के नतीजा में लोग फ़ालिज और लक्वा से मुतास्सिर हो रहे हैं इन में छोटे बच्चे जवान बूढ़े सब शामिल हैं। बच्चों में पाए जाने वाले फ़ालिज को फ़ालिज अलातफ़ाल कहा जाता है। डॉक्टर का कहना है कि हुज़ूर की सुन्नत मुबारका पर अमल करने से इंसान रुहानी और जिस्मानी बीमारियों से महफ़ूज़ रहता है। उन्हों ने मज़ीद बताया कि फ़ालिज ओर लक्वा जैसे अमराज़ का फ़ौरी ईलाज करवा लेना चाहीए।