चारमीनार पैदल राहरो प्राजैक्ट मुताल्लिक़ा महिकमा के गले की हड्डी

मुताल्लिक़ा ओहदेदार 9 महीने से खंबे लगाने और निकालने मेंही मसरूफ़, अब खंबे की जगह झाड़ लगाने का मंसूबा हैदराबाद । 11 । अक्टूबर : ( सियासत न्यूज़ ) : तरक़्क़ीयाती प्राजैक्ट के नाम पर हुकूमत और सरकारी ओहदेदार क़्सि तरह अवामी पैसों की बर्बादी का मुर्तक़िब होते हैं और तरक़्क़ीयाती अमोरके नाम पर अवाम कूकस तरह मुश्किलात का शिकार बना दिया जाता है?चारमीनार पैदल राहरू प्रोजेक्ट,इसकी एक ताज़ा तरीन मिसाल है। इस प्रोजेक्ट का आग़ाज़ 24जनवरी 2011में किया गया था और सिर्फ चार महैने में उसे मुकम्मल करने का मंसूबा बनाया गया था मगर आज 9 महिने से ज़ाइद का अर्सा गुज़र जाने के बावजूद ये नहीं कहा जा सकता कि उसकी तकमील में मज़ीद और कितना वक़्त दरकार होगा।हालत तो ये होगई है कि अब ये प्रोजेक्ट मुताल्लिक़ा महिकमा के गले की हड्डी बन गयाहै ,और इस प्रोजेक्ट को कैसे पूरा किया जाय ,इस हवाले से ख़ुद मुताला ओहदेदार तज़बज़ब का शिकार हैं, पहले चारमीनार ता मदीना मार्किट रास्ते के दरमयान में खंबा डालते हुए गुलज़ाहोज़ ता चारमीनार को एक रुख़ी रास्ते में तबदील करदिया गया, ताहम चनद माह बाद गणेश जलूस के नाम पर मज़कूरा मुक़ाम पर मौजूद खंबों को निकाल दिया गया ,अलबत्ता एक रुख़ी रास्ते पर अमल आवरी बरक़रार रखी गई जिस से सवारीयों को गुलज़ार हौज़ से चार मन्नार पहुंचने केले पंजे शाह की तरफ़ से एक तवील फ़ासिला तए करना पड़ रहा था मगर ये सिलसिला भी ज़्यादा दिन तक क़ायम नहीं रह सका और गुज़शता चंद दिनों से एक रुख़ी रास्ता ख़तनम करते हुए एक बार फिर पहले की तरह दो रुख़ी रास्ते बहाल कर दिए गए..मगर मसला ये है कि ये हालत भी ज़्यादा दिनों तक क़ायम नहीं रह पाएगी ।बावसूक़ ज़राए के मुताबिक़ गुलज़ार हौज़ के क़रीब मौजूद जीवीलरी शाप के चंद मालकीयन ने पार्किंग के हवाले से अदालत से असटे आर्डर हासिल करलिया है,जबकि दूसरी तरफ़ महिकमा बलदिया कि आली ओहदेदार गुज़शता हफ़्ते चारमीनार पैदल राहरू प्राजैक्ट का दौरा करते हुए हालात का जायज़ा लिया और अपने मातहत ओहदेदारों कोय हिदायत दी कि दोनों जानिब से रास्ते को मुकम्मल तौर पर बंद कर दिया जाय और जल्द से जलदमाबक़ी काम मुकम्मल किया जाई।ज़राए के मुताबिक़ , फ़िलहाल गुलज़ार हौज़ ताचारमीनार एक जानिब पत्थर बिछाने का काम मुकम्मल करलिया गयाहै और अब दोनों जानिब रास्तों को बंद करते हुए दूसरी जानिब भी पत्थर बिछाने का काम शुरू किया जाएगा , और दरमयान मेंजो खंबे डाले गए हैं उसे मुकम्मल तौर पर निकालते हुए उसकी जगह ख़ूबसूरती केलिए झाड़लगा ए जाउंगी।मगर इस फ़ैसले पर भी मुताल्लिक़ा ओहदेदार क़ायम रह पाऐंगे या नहीं ,ये तो आने वाला वक़्त है बताइगा मगर दूर अंदेशी से आरी इस किस्म के फ़ैसले से ना सिर्फ आम अवाम को बल्कि दुनिया भर से यहां पहुंचने वाले सय्याहों को भी कई एक मसाइल का सामना करना पड़ रहा है।एक मुक़ामी शख़्स ने मज़कूरा प्रोजेक्ट की सुस्त रफ़्तारी पर ब्रहमी का इज़हार करते हुए कहा कम-अज़-कम इस तारीख़ी और मसरूफ़ तरीन इलाक़े का लिहाज़ करते हुए हुकूमत को चाहैए था कि इस प्रोजेक्ट को जंगी ख़ुतूत पर अंजाम देते मगर अफ़सोस कि वो अपनी पुरानी रविष के तहत इस काम को भी कछुवे की रफ़्तार से अंजाम दे रहै हैं।उन्होंने कहाकि यहि हाल लाड बाज़ार का भी जहां मुक़ामी अफ़राद के इलावा मुख़्तलिफ़ रियास्तों और ममालिक से लोग ख़रीदी के लिए आते हैं ,वहां पर भी पूरे रास्ते को ख़सताहाली का शिकार बना दिया गया है। दूसरी जानिब इस प्रोजेक्ट की अदम तकमील की वजह से जहां छोटे मोटे कारोबार करने वाले अफ़राद को भी कई एक मसाइल कासामना करना पड़ रहा है वहीं तकमील शूदा पैदल राहरू हिस्से में पहले की तरह है गाड़ीयों की पार्किंग , ठेला बंडियों की मौजूदगी और इस हिस्से के कारोबारी मक़ासिद के तहत इस्तिमाल से अब इस प्रोजेक्ट के मक़ासिद पर भी इबहाम के बादल छाते नज़रआरहे हैं । एक तरफ़ पैदल राहरू के हिस्से में बंडियों और पार्किंग की वजह से एक तरफ़ जहां पैदल चलने वाले राहगीरों को परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है,वहीं दूसरी तरफ़ फुटपाथ और बंडियों पर छोटे मोटे कारोबार करने वाले ग़रीब अफ़राद भी इस हवाले से शदीद उलझन का शिकार हैं क्योंकि हुकूमत ने अभी तक कोई मुतबादिल मुक़ाम का ताय्युन नहीं किया है ।