चारमीनार पैदल राह-रौ प्रोजेक्ट कूड़ेदान की नज़र

हैदराबाद: बलदी इंतेख़ाबात के फ़ौरी बाद समझा जाता है कि पैदल राह‍-रौ प्रोजेक्ट को कूड़ेदान की नज़र कर दिया जाएगा। चारमीनार पैदल राह‍रौ प्रोजेक्ट जो क़रीब 25 बरस क़बल तैयार किया गया था, इस प्रोजेक्ट पर अदम अमलावरी के सबब प्रोजेक्ट की तुख़मीनी लागत में ना सिर्फ इज़ाफ़ा हुआ बल्कि 25 साल पहले जो मन्सूबा तैयार किया गया था , इस मन्सूबे को काबुल अमल बनाना फ़िलहाल बेफ़ैज़ साबित होगा।

माहिरीन का कहना है कि 25 साल पहले जो मन्सूबा तैयार किया गया था इस मन्सूबे की तैयारी में मुस्तक़बिल के 50 साल को पेश-ए-नज़र रखा गया था लेकिन प्रोजेक्ट की तकमील के लिए दिए गए वक़्त में प्रोजेक्ट की तकमील तो दौर की बात है जबकि25 साल में प्रोजेक्ट‌ शुरू ही नहीं हो पाया।

इसलिए इस प्रोजेक्ट पर मज़ीद रक़ूमात सेफ़ करना या फिर शुरू करना सरकारी खज़ाने पर बोझ डालने के अलावा कुछ नहीं होगा। चूँकि जो मन्सूबा तैयार किया गया था उसके पेश-ए-नज़र मुस्तक़बिल के पचास साल थे और उन पचास बरसों में 25 बरस गुज़र चुके हैं। शहर हैदराबाद के अहम तरीन प्रोजेक्ट‌स में चारमीनार पैदल राह‍रौ प्रोजेक्ट शुमार किया जाता है लेकिन इस प्रोजेक्ट पर अदम अमलावरी-ओ-मुतअद्दिद तबदीलीयों की वजह से महिकमा मंसूबा बंदी के माहिरीन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को बिलकुल्लिया तौर पर ख़त्म कर दिया जाये ताकि नए प्रोजेक्ट‌ की तैयारी की राह हमवार हो सके और आइन्दा100 बरसों को नज़र में रखते हुए प्रोजेक्ट की तैयारी को यक़ीनी बनाया जाये।

प्रोजेक्ट की तैयारी में ना सिर्फ अतराफ़ मौजूद छोटे बेपारियों के कारोबार के मुताल्लिक़ वाज़िह मन्सूबा पेश किया जाना ज़रूरी है बल्कि नाजायज़ तामीरात की बर्ख़ास्तगी के सिलसिले में भी ज़रूरी इक़्दामात की राहें हमवार की जानी चाहिए। मजलिस बलदिया अज़ीम-तर हैदराबाद के मौज़फ़ ओहदेदारों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट पर मज़ीद किसी किस्म के तरक़्क़ीयाती काम किए जाते हैं और साबिक़ा मन्सूबे पर ही ऐसा होता है तो उसके कोई बेहतर नताइज सामने नहीं आएँगे बल्कि 25 साल क़बल की मंसूबाबंदी पर असरी टेक्नोलोजी के दौर में अमलावरी से मज़ीद मसाइल पैदा होने का ख़दशा है।

चारमीनार के तहफ़्फ़ुज़ और चारमीनार को आलमी विरसा की फ़हरिस्त में शामिल करवाने के लिए पैदल राह‍रौ प्रोजेक्ट नागुज़ीर है लेकिन इस प्रोजेक्ट की अज़सर-ए-नौ तैयारी पर ग़ौर किया जाने लगा है|