चारमीनार बैंक डिपाजिटर्स को माबाक़ी दो क़िस्तों की अदायगी में ताख़ीर(देर)

बैंक का स्क़ाम मंज़रे आम पर आने के बाद से आज तक बैंक के डिपाजिटर्स को छः क़िस्तों में रक़ूमात अदा की जा चुकी हैं जबकि माबक़ी दो क़िस्तों की रक़ूमात की अदायगी अभी बाक़ी है। इन दो क़िस्तों की अदायगी का जो वक़्त मुक़र्रर किया गया था वो गुज़र गया लेकिन बाअज़ क़ानूनी दुशवारीयों के सबब रक़ूमात की अदायगी में मुश्किलात पैदा होरही हैं।

बताया जाता है कि रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया के तहत चलने वाले इदारे डिपाज़िट इंशोरंस ऐंड क्रेडिट ग्यारंटी कारपोरेशन (DICGC) से बैंक ने 146करोड़ रुपये हासिल किए थे। इस रक़म की मुकम्मल अदायगी का बहाना बनाकर कवापरीटीव डिपार्टमैंट के हुक्काम डिपाजिटर्स को आख़िरी दो क़िस्तों के तहत अदा शदणी रक़म में ताख़ीर(देर) कर रहे हैं।

गुज़श्ता साल 25 नवंबर को रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया ने चारमीनार बैंक का लाईसैंस मंसूख़ करदिया था जिस के बाद कवापरीटीव डिपार्टमैंट की जानिब से लकवीडीटर का तक़र्रुर किया गया। बताया जाता है कि लकवीडीटर की पहली ज़िम्मेदारी DICGC से हासिल करदा रक़ूमात की वापसी होती है।

बैंक ने 146 करोड़ में से 86 करोड़ रुपये ताहाल अदा करदिए हैं माबक़ी रक़म की अदायगी का बहाना बनाकर डिपाजिटर्स की दो अक़सात को रोक दिया गया है। दो क़िस्तों के तहत 131डिपाजिटर्स को 12 करोड़ रुपये अदा किए जाने बाक़ी हैं।

सच्चर कमेटी ने भी अक़लीयतों के कवापरीटीव बैंक्स के क़ियाम की सिफ़ारिश की है, इन हालात में हुकूमत को चारमीनार बैंक के अहया की मसाई(कोशिश) करनी चाहीए। लाईसैंस की मंसूख़ी के बाद बैंक ने 3 करोड़ रुपये की रीकवरी की।

बैंक के 14 मुलाज़मीन की ख़िदमात को ख़तम करते हुए उन्हें मामूली तनख़्वाहों पर दुबारा ताय्युनात किया गया है जबकि चार सरकारी ओहदेदार बड़ी तनख़्वाहों पर ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं और ये भारी तनख़्वाहें बैंक की रक़म से अदा की जा रही हैं।