एक ही जुर्म के लिए कितनी बार सजा दी जायेगी। चारा घोटाले से सबसे बड़े मामले में आरके राणा की तरफ से दलील पेश करते हुए यह सवाल उठाया गया। इस मामले में पीर को लालू प्रसाद की तरफ से अपने बचाव में दलील पेश की जायेगी।
चारा घोटाला कांड नंबर आरसी 20ए/96 में सीबीआइ के खुसुसि जज पीके सिंह की अदालत में साबिक़ एसेम्बली रुक्न आरके राणा की तरफ से बचाव में दलील पेश की गयी। उनके वकील ने दलील देते हुए कहा कि आरके राणा को कांड नंबर आरसी 22ए/96 और आरसी 33ए/96 में सजा सुनायी जा चुकी है। इन दोनों मामलों में भी उन पर घोटालेबाजों से 50 करोड़ रुपये लेने के इल्ज़ाम थे।
इसके अलावा लालू प्रसाद के करीबी होने और पशुपालन अफसरों को मदद करने के इल्ज़ाम थे। इन इल्जामों में उन्हें सजा सुनायी जा चुकी है। आरसी 20ए/96 में भी उन पर वही इल्ज़ाम हैं। इसलिए एक ही जुर्म और इल्ज़ाम के लिए उन्हें कितनी बार सजा दी जायेगी। जहां तक लालू प्रसाद के करीबी होने की बात है तो वह सही है, क्योंकि राणा लालू की पार्टी के एसेम्बली रुक्न थे। ऐसे में किसी एसेम्बली रुक्न का अपने पार्टी के लीडर का करीबी होना कोई जुर्म नहीं है। इसके बावजूद इन्हीं इल्ज़ामात की बुनियाद पर उन्हें आठ मामलों में मुल्ज़िम बनाया गया है। सीबीआइ ने किसी मामले में अस्तगासा मंजूरी की ताईन अमल नहीं किया है।