बिहार के साबिक़ वजीरे आला और चारा घोटाला के मुल्ज़िम डॉ जगन्नाथ मिश्र को झारखंड हाइकोर्ट से पीर को बड़ी राहत मिल गयी। हाइकोर्ट के जस्टिस आरआर प्रसाद की अदालत ने डॉ मिश्र की क्रिमिनल दरख्वास्त को कुबूल करते हुए उनके खिलाफ चार दीगर मामलों में लगाये गये सीबीआइ के इल्ज़ामात को रद्द कर दिया।
अदालत ने ये फैसला पीर को सुनाया। साबिक़ में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने हुक्म महफूज रख लिया था। आरसी 64ए/96, आरसी 47ए/96, आरसी 38ए/96 और आरसी 48ए/96 में रांची की सीबीआइ अदालत में सुनवाई चल रही है। अब इन मामलों में डॉ मिश्र के खिलाफ ट्रायल नहीं चलाया जा सकेगा। चारा घोटाले के चाईबासा खजाने से मुतल्लिक़ आरसी-20ए/96 के अलावा दीगर किसी मामले में डॉ मिश्र मुल्ज़िम नहीं रह गये हैं। इस मामले में निचली अदालत ने डॉ मिश्र के खिलाफ पांच साल की सजा सुनायी है।
फिलहाल वे इलाज के लिए जमानत पर हैं। गौर तलब है कि ख़्वाह डॉ जगन्नाथ मिश्र ने क्रिमिनल दरख्वास्त दायर की थी। इसमें कहा गया था कि मौजूदा में आरसी 20ए/96 में सजायाफ्ता हैं। सीबीआइ ने एसबी सिन्हा के मुद्दत तौसिह को लेकर सिफ़ारिश खत लिखने का इल्ज़ाम है। यही इल्ज़ाम उनसे मुतल्लिक़ चारा घोटाले के पांच मामलों में लगाये गये हैं। इसमें से चार मामलों में सुनवाई चल रही है। इन मामलों में भी एक ही तरह के इल्ज़ाम हैं।
ख़्वाह इस इल्ज़ाम में सजा काट रहा है। उम्र भी ज़्यादा हो गयी है और बीमार चल रहे हैं। एक ही इल्ज़ाम में अलग-अलग मामलों में ट्रायल करने का कोई मतलब नहीं है। ख़्वाह ने चारा घोटाले के दीगर चार मामलों में उनके खिलाफ सीबीआइ की तरफ से लगाये गये इल्ज़ामात को रद्द करते हुए ट्रायल से आज़ाद करने की दरख्वास्त किया था।