चिटफ़ंड घोटाले की सी बी आई तहक़ीक़ात के मुतालिबे में ज़ोर

नई दिल्ली, 27 अप्रैल: मग़रिबी बंगाल में हुए एक बड़े चिटफ़ंड घोटाले की कम्युनिस्ट पार्टियों की जमातों ने सी बी आई की जानिब से तहक़ीक़ात करवाने का मुतालिबा किया। बाएं बाज़ू की जमातों ने दलील‌ पेश कि घोटाले में शामिल कंपनियों को मर्कज़ी एजेंसियों जैसे आर बी आई ने लाईसेंस जारी किए थे, लिहाज़ा रियासती सतह पर की जाने वाली तहक़ीक़ात से कोई मक़सद हासिल नहीं होगा।

सी पी एम नेता सीताराम एचूरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चिटफ़ंड घोटाले में लाखों अफ़राद को धोखा दिया गया जिन की ज़िंदगियां बर्बाद हो गईं और हम ख़ाहिश‌ करते हैं कि इस घोटाले की तहक़ीक़ात मर्कज़ी एजेंसी से करवाई जाये क्योंकि लाईसेंस जारी करने वाली एजेंसियां भी एक जैसी थी जैसे आर बी आई और सी बी वग़ैरा।

रियासती सतह की तहक़ीक़ात बेफ़ाइदा साबित होंगी। कम्युनिस्ट पार्टियों के तक़रीबन 20 एम पीज़‌ ने पार्लियामेंट के सामने एहतिजाज किया था जिस के बाद एचुरी अख़बारी नुमाइंदों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 2011‍ में कम्युनिस्ट पार्टियों के एम पी के एक वफ़द (पर्तिनिधि मंड्ल) ने वज़ीरे आज़म से मुलाक़ात करते हुए इस घोटाले पर वक़्त से पहले ही अपने अंदेशे ज़ाहिर किए थे।

दूसरी तरफ़ तृणमूल कांग्रेस ने मर्कज़ी वज़ीर ए एच ख़ान चौधरी के इस्तीफ़े का मुतालिबा किया, क्योंकि ख़ान के शारदा ग्रुप से मेल जोल‌ बताए गए थे, जबकि इस मामले में कोई कार्रवाई ना करने पर वज़ीरे आज़म के भी घोटाले में रोल पर सवाल उठाए। बाएं बाज़ू की जमातों की ये भी ख़ाहिश‌ है कि धोके बाज़ कंपनियों की प्रॉपर्टी को ज़ब्त करते हुए उन्हें नीलाम कर दिया जाये और इस से जो रक़म हासिल हो वो सरमाया कारी (पुंजी निवेश) करने वालों को वापिस करदी जाये।