मर्कज़ी काबीना ( Union Cabinet / केंद्रीय मंत्री मंडल) में काफ़ी इंतेज़ार वाले मगर महिदूद ( सीमित) रद्द-ओ-बदल में पी चिदम़्बरम को आज वज़ीर फ़ैयनेन्स बनाया गया और वज़ारत-ए-दाख़िला ( गृह मंत्रालय) का उन का क़लमदान सुशील कुमार शिंडे को सौंप दिया गया। इस अमल में जो गुज़श्ता माह काबीना ( Cabinet/मंत्री मंडल) से परनब मुकर्जी के इख़राज (बहिष्कार) की वजह से ज़रूरी हो चला था, वज़ीर कॉरपोरेट उमूर (Corporate Affairs Minister) एम वीरप्पा मोईली को वज़ारत बर्क़ी (उर्जा मंत्री) की इज़ाफ़ी ज़िम्मेदारी दी गई, जबकि ये क़लमदान अब तक शिंडे (Sushil kumar Shinde )के पास था।
66 साला चिदम़्बरम की ज़ाइद अज़ साढे़ तीन साल के बाद वज़ारत फ़ैयनेन्स को वापसी हो रही है। उन्हें वज़ारत फ़ैयनेन्स से वज़ारत-ए-दाख़िला ( गृह मंत्रालय) को शिव राज पाटिल की जगह दिसम्बर 2008 में मुंबई दहशत गिरदाना हमलों के तनाज़ुर (हालात/ वातावरण) में मुल़्क की सलामती को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी के साथ मुंतक़िल किया गया था। वो वज़ारत फ़ैयनेन्स का ज़िम्मा ऐसे वक़्त सँभाल रहे हैं जबकि मईशत ( सांसारिक जीविका) इन्हितात पज़ीर ( कमी) है और टैक्स मसाइल ( समस्याओं) के बारे में बाअज़ ( कुछ) फैसलों की वजह से बैरूनी सरमाया कारों ( निवेशकों) में बे इत्मीनानी पैदा हुई है।
चिदम़्बरम को बैरूनी सरमाया कारों ( निवेशको) में एतिमाद (यकीन/ भरोसा/ विश्वास) बहाल करने के इलावा इफ़रात-ए-ज़र (Index/ शूचकांक) की शरह (दर) को बढ़ने से रोकने और ऊंची मआशी तरक़्क़ी पर वापसी को यक़ीनी बनाने का चैलेंज दरपेश (मुश्किल) रहेगा। 71 साला साबिक़ ( पूर्व) पुलिस मुलाज़िम और दलित लीडर शिंडे पहली बार वज़ीर दाख़िला ( गृह मंत्री) की हैसियत से फ़राइज़ अंजाम देंगे ।
इन्हें नक्सलिज़्म(naxalism) से पैदा शूदा चैलेंज से निमटने का कठिन काम अंजाम देना है। वो ऐसे वक़्त ज़िम्मेदारी सँभाल रहे हैं जबकि आसाम वसीअ ( बड़े ) पैमाना पर फ़सादाद से गुज़र रहा है। क़लमदानों में रद्द-ओ-बदल ( प्रतिक्रिया) की ज़रूरत परनब मुकर्जी के इख़राज (बहिष्कार) पर पैदा हुई थी, जो सदर जमहूरीया ( राष्ट्रपति) की हैसियत मुंतख़ब ( निर्वीचित) होने से क़बल वज़ीर फायनेन्स क़लमदान रखते थे ।
मिस्टर मुकर्जी वज़ीर फायनेन्स की हैसियत से 26 जून को मुस्ताफ़ी ( सेनिवृत्त्) हो गए और तब से ये क़लमदान ख़ुद वज़ीर-ए-आज़म के पास था।