चीनी फ़ौजीयों की दरअंदाज़ी के ताज़ा वाक़िये के पस-ए-मंज़र में वज़ीर-ए-दिफ़ाअ ए के एंटोनी ने आज कहा कि उसे वाक़ियात के इमकान को खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपने इस मौक़िफ़ को बरक़रार रखा कि उसे मसाइल की अब फ़ौरी यकसूई मुम्किन है क्योंकि सरहदी दिफ़ाई तआवुन मुआहिदे पर दोनों ममालिक ने अक्टूबर में दस्तख़त करदिए हैं।
जारीया सरहदी क़रारदाद के बमूजब दोनों ममालिक के ख़ुसूसी नुमाइंदे बातचीत के ज़रीये सरहदी तनाज़आत की फ़ौरी यकसूई भी करेंगे। वज़ीर-ए-दिफ़ाअ ने कहा कि अवाम को उन से करिश्मों की तवक़्क़ो नहीं रखनी चाहिए हालाँकि दोनों ममालिक ने फ़ैसला किया है की जब तक मसले की यकसूई ना होजाए वो तमाम इख़तिलाफ़ात की ख़ुशगवार अंदाज़ में यकसूई करेंगे। वज़ीर-ए-दिफ़ाअ हिन्दुस्तानी फ़ौज की 1971 में पाकिस्तान के साथ जंग में कामयाबी की सालगिरा के मौक़े पर आलहदा तौर पर एक प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब कररहे थे।
उन्होंने कहा कि अब हम ने ये फ़ैसला किया है की अमन और ख़ैरसिगाली बरक़रार रखी जाएगी। जब भी कोई वाक़िया पेश आए इस इमकान को खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि हमारी सरहद काफ़ी तवील है। दोनों ममालिक को क़रीब आना चाहिए और ख़ुशगवार अंदाज़ में तनाज़आत की यकसूई करनी चाहिए। उन से चीनी फ़ौजीयों की हाल ही में हिन्दुस्तानी सरज़मीन से 5 हिन्दुस्तानी शहरीयों को गिरफ़्तार करने और दोनों ममालिक की फ़ौज के इजलास के बाद भी उन्हें रिहा करने के वाक़िये के बारे में सवाल किया गया था।
चीन के साथ सरहद के बारे में मुज़ाकरात के सिलसिले में एंटोनी ने कहा कि इस मसले की यकसूई के सिलसिले में किसी करिश्मा की उम्मीद ना रखें। हम इतमीनान बख़श हल तलाश करने की कोशिश कररहे हैं। जब भी सरहद कोई वाक़िया पेश आता है तो हम सरकारी निज़ाम और मुज़ाकरात के ज़रीये उसकी यकसूई करलेते हैं।