भारत सोमवार को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एम टी सी आर) में औपचारिक तौर पर शामिल हो जाएगा। दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एम टी सी आर अहम है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एन एस जी) में शामिल होने की हालिया कोशिश की नाकामी बाद इसे बेहतर माना जा रहा है। बीते साल ही भारत ने एम टी सी आर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
विदेश सचिव एस जयशंकर सोमवार को फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में इस क्लब में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एन एस जी की सदस्यता ना मिलने को नाकामी मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।
एम टी सी आर में शामिल होने के बाद भारत दो अन्य समूहों ऑस्ट्रेलियन ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट में शामिल होने की कोशिश करने वाला है। एन एस जी की सदस्यता के लिए भी कोशिश जारी रखने की बात कही गई है। स्वरूप ने बताया कि सोमवार को भारत एम टी सी आर का पूर्ण रूप से सदस्य बन जाएगा।
एम टी सी आर का मकसद मिसाइलों के प्रसार को प्रतिबंधित करना, रॉकेट सिस्टम को पूरा करने के अलावा मानव रहित जंगी जहाजों पर 500 किलोग्राम भार के मिसाइल को 300 किलोमीटर तक ले जाने की क्षमता वाली तकनीक को बढ़ावा देना है। बड़े विनाश वाले हथियारों और तकनीक पर पाबंदी लगाना इस समूह का मकसद है।