चीन के साथ तिजारत

चीन में हिंदूस्तानी ताजरीन के साथ रवासलोक पर हकूमत-ए-हिन्द की बरवक़्त मुदाख़िलत और हुकूमत चीन के जवाबी इक़दाम से कोई सिफ़ारती तनाज़ा पैदा नहीं हुआ।

इस वाक़िया से दोनों मुल्कों को ये दरस तो मिला है कि आइन्दा इस तरह के वाक़ियात के रौनुमा होने पर ग़ैर सरकारी मेकानिज़म के ज़रीया मसला का हल किस तरह निकाला जाई। चीन में दो हिंदूस्तानियों को मुक़ामी ताजरीन ने इस लिए यरग़माल बनालिया था क्यों कि एक मफ़रूर आजिर की जानिब से उन्हें रक़म अदा करनी थी।

अदालत ने इन दोनों हिंदूस्तानियों को रिहा क रदिया था और ये मुक़ामी होटल में मुक़ीम थे मगर चीन का ताजिर तबक़ा उन की होटल को घेरे में लेकर उन्हें यहां से निकलने की इजाज़त नहीं दे रहा था मगर चीन के सूबा यूवी के हुक्काम ने दोनों हिंदूस्तानियों को मुनासिब सीकोरीटी फ़राहम करके वापसी का इंतिज़ाम किया मगर इस वाक्या या इस तरह के दीगर वाक़ियात में दो मुल्कों के दरिमियन कशीदगी पैदा करनेवाली वजूहात का जायज़ा लेना ज़रूरी है।

दोनों मुल्कों के दरमयान तिजारती सरगर्मीयों में इज़ाफ़ा के बाद अगर ऐसे वाक़ियात रौनुमा होते रहें तो हरवक़त हर दो जानिब की हुकूमतें मसला की यकसूई के लिए मुदाख़िलत नहीं कर सकतीं। तिजारती उमूर में वुसअत पाने के साथ दोनों मुल्कों को एक ग़ैर सरकारी मेकानिज़म भी बनाना चाहीए ताकि मुक़ामी ताजिरों के साथ कोई फ़रेब कारी या दीगर गै़रक़ानूनी मसाइल रौनुमा हूँ तो उन्हें एक ग़ैर सरकारी मेकानिज़म के ज़रीया दूर किया जा सके।

वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम ने गुज़श्ता रोज़ चीन के साथ हिंदूस्तान के तिजारती ताल्लुक़ात की इफ़ादीयत का तज़किरा करते हुए कहा था कि चीन से दुश्मनी या हसद की ज़रूरत नहीं है। मुसावी बुनियादों पर मुसाबक़त होनी चाहिए। मगर चीन की बाअज़ यकतरफ़ा कार्यवाईयों पर हकूमत-ए-हिन्द को ख़ामोशी इख़तियार करने की ज़रूरत पेश आए तो ये अफ़सोसनाक अमल होगा।

तिजारती तनाज़ा में चीन के यूवी इलाक़ा में दो हिंदूस्तानी ताजिरों की रिहाई इस के बाद 12 हीरों के ताजिरों की चीन से हिंदूस्तान वापसी के दरमयान वज़ीर-ए-दाख़िला चिदम़्बरम ने हिंदूस्तानी ताजरीन को मसरूफ़ तिजारती मर्कज़ से दूर रहने का मश्वरा दिया है तो ये मसला का हल नहीं है बल्कि चीन के साथ बाहमी तौर पर मसाइल की यकसूई के लिए राह निकाली जानी चाहीए।

चीन से जब तिजारती सरगर्मीयों में इज़ाफ़ा हो रहा है तो दोनों मुल्कों के ताजरीन को तिजारत के उसूलों और दीगर क़वाइद पर अमल करने का पाबंद बनाने के लिए एक वाज़िह मेकानिज़म क़ायम किया जाय ताकि मुस्तक़बिल में इस तरह के वाक़ियात का तदारुक किया जा सके और अगर वाक़ियात रौनुमा हूँ तो उन का ख़ुशउसलूबी से हल निकाला जाए।