इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हजारों मुस्लिमों ने चीनी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने चीन में रह रहे यूगर समुदाय के अल्पसंख्यक मुस्लिमों के साथ चीन के जिनजियांग प्रांत में होने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इस प्रांत में लगभग 10 लाख अल्पसंख्यक मुस्लिम रहते हैं। उन्हें कैंप में हिरासत में लिया जाता है, यहां उनका राजनीतिक स्वदेशीकरण किया जाता है और अपना धर्म छोड़ने का दवाब डाला जाता है।
संयुक्त राष्ट्र ने हिरासत में लिए गए उन सभी लोगों की तुरंत की मांग की है जिन्हें आतंकवाद का मुकाबला करने के बहाने हिरासत में लिया गया है। चीन का कहना है कि जिनजियांग को इस्लामी आतंकियों और अलगाववादियों का खतरा है।
उसने दुर्व्यवहार करने के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है और चीनी अधिकारियों द्वारा मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर नजरबंद करने से इनकार किया है। उसका कहना है कि जो लोग छोटे अपराध करते हैं उन्हें व्यावसायिक केंद्र काम के लिए भेजा जाता है।
चीन को डर है कि यूगर जोकि तुरिक भाषा बोलते हैं वह अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया और इराक जैसी जगहों पर आंतकियों के साथ लड़ाई में शामिल होने के लिए जाते हैं।
इंडोनेशिया में प्रदर्शन के एक दिन पहले पाकिस्तान ने चीनी अधिकारियों द्वारा मुस्लिमों को हिरासत में लिए जाने और उनके बढ़ते आक्रोश का बचाव किया था। पाकिस्तान ने कहा था कि मामले को विदेशी मीडिया संवेदनशील बना रही है।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा था, ‘विदेशी मीडिया के कुछ गुट झूठी जानकारी फैलाकर मामले को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’ पाकिस्तान आमतौर पर दुनियाभर में जहां भी मुस्लिमों के साथ अन्याय होता है उसे जोर-शोर से उठाता है।
मगर राजनीतिक और आर्थिक कारणों की वजह से वह चीन को कुछ नहीं कह पा रहा है। चीन ने उसके देश में काफी निवेश किया है जिसकी वजह से पाकिस्तान और दूसरे मुस्लिम देश यूगर समुदाय के साथ चीन में होने वाले दुर्व्यवहार पर चुप्पी साधे हुए हैं।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की बहुत सी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में चीन ने निवेश किया है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में चीन ने 75 बिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है।
पाकिस्तान के विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष मुशाहिद हुसैन का कहना है कि पाकिस्तान और चीन के रिश्तों के बुनियादी सिद्धांत उन्हें एक-दूसरे के घरेलू मामलों पर टिप्पणी करने से रोकते हैं।
साभार- ‘अमर उजाला’