नई दिल्ली: चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ने सरकार से नियमों में संशोधन की मांग की है। चुनाव आयोग चाहता है कि राजनीतिक दल दो हजार रुपये से अधिक के चन्दों का स्रोत बताएं। आयोग ने सरकार को भेजी अपनी सिफारिशों में कहा है कि पार्टियों को 2 हजार रुपये से अधिक के ‘गुप्त चंदे मिलने पर रोक लगनी चाहिए।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार राजनीतिक दलों द्वारा अज्ञात स्रोतों से चंदा लेने पर किसी तरह की संवैधानिक या कानूनी रोक नहीं है, लेकिन इस पर आंशिक प्रतिबंध जरूर हैं। जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत पार्टियों के लिए 20 हजार रुपये से अधिक के चन्दों का स्रोत बताना चाहिए। चुनाव आयोग ने सरकार को चुनाव सुधार के जो सुझाव भेजे हैं, उनके अनुसार ‘अज्ञात स्रोतों से 2 हजार रुपये या इससे अधिक के चन्दों पर रोक लगनी चाहिए।
आयोग ने साथ ही यह भी सुझाव दिया है कि केवल उन्हीं राजनीतिक दलों को आयकर में छूट मिलनी चाहिए जो चुनाव लड़ती हूं और लोकसभा या विधानसभा चुनाव में जीती हूँ। दरअसल आयकर अधिनियम 1961 की धारा 13 ए के अनुसार राजनीतिक दलों को आयकर छूट मिली हुई है।
नोटबंदी के बीच आम लोगों को हो रही परेशानियों के बीच ऐसी बहस थी कि राजनीतिक दलों के रद्द हो चुके पुराने नोटों को इकट्ठा करने पर कोई रोक नहीं है, बाद में सरकार को सफाई देनी पड़ी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐसी रिपोर्ट को भ्रामक बताया। सरकार ने साफ किया कि राजनीतिक दल अब चंदे के रूप में पुराने नोट नहीं ले सकती हैं। इससे पहले वित्त मंत्रालय के सचिव अशोक लवासा ने भी बताया था कि सभी राजनीतिक दलों को अपनी आय और चन्दों की गणना सही रखना होगा।