UP चुनाव: ओवैसी की गणित हो सकती है कामयाब ?

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव जहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए नाक की लड़ाई है वहीँ कुछ पार्टियों के लिए ये चुनाव एक शुरुवात है. शुरुवात करने वाली पार्टियों में तेलंगाना राज्य की क्षेत्रीय पार्टी आल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन भी है, पार्टी के सदर यानी अध्यक्ष हैदराबाद के सांसद असद उद्दीन ओवैसी हैं. ओवैसी मुसलमानों के लीडर हैं और लगभग पूरे मुल्क में उन्हें लोग जानते हैं. जहां कुछ लोग उन्हें नापसंद करते हैं तो कुछ उनको बेहद पसंद करते हैं. पसंद करने वालों को लगता है ओवैसी के मज़बूत होने से मुसलमानों को एक राजनितिक प्लेटफार्म मिल जाएगा जबकि जो नहीं पसंद करते वो कहते हैं ओवैसी के आने से मुस्लिम वोट बंटेगा जिसका सीधा फ़ायदा ‘मुस्लिम विरोधी’ भारतीय जनता पार्टी को मिल जाएगा. खैर इन सब सवालों के इर्द गिर्द हमने भी कुछ लोगों से बात की और ये जानने की कोशिश की कि क्या वाक़ई ओवैसी के आने से उत्तर प्रदेश चुनाव पे कोई प्रभाव पडेगा.

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इस बारे में चाय की दुकान पे बैठे एक शख्स से हमने सवाल किया कि क्या आप ओवैसी को जानते हैं?, उसने कहा हाँ. आगे बात करने पर उसने बताया कि ओवैसी के जीतने की संभावना कुछ सीटों पर है लेकिन अधिकतर सीटों पर ये महेज़ वोट कटुवा पार्टी रहने वाली है. मुस्लिम कॉलोनी में जहां ढेरो लोग बड़े भाई असद उद्दीन ओवैसी को पसंद करते हैं वहीँ छोटे भाई अकबर उद्दीन को उसके विवादित भाषणों की वजह से नापसंद करते हैं. इसके अलावा लोगों का ये भी मानना है कि मीडिया ने असद उद्दीन ओवैसी को विलन की तरह से दिखा रखा है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है.

एक और बात जो ओवैसी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है वो है आज़म खान जैसे माहिर नेताओं का समाजवादी पार्टी के साथ होना जबकि ओवैसी के साथ किसी भी लोकल लीडर का ना होना.

कुल मिला कर देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि ओवैसी कुछ सीटों पर प्रभावी रहने वाले हैं लेकिन ये कुछ सीटें कितनी हैं अभी ये कहना मुश्किल है.