पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटे मिलती दिख रही हैं। हालांकि अभी मतगणना जारी है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि कभी पाकिस्तान टीम के कप्तान रहे इमरान जल्द ही देश की कमान भी संभाल लेंगे।
वैसे इमरान खुद ही काफी विवादित शख्सयित रहे हैं और उनकी छवि प्लेबॉय से कम नहीं है। लाहौर में जन्मे और ऑक्सफर्ड से पढ़ने वाले इमरान ने 3 शादियां की हैं।
चुनाव से ठीक पहले इमरान ने कहा कि नवाज शरीफ भारत के खिलाफ बहुत सॉफ्ट हैं। इमरान ने लोगों को यह कहते हुए उकसाया कि, ‘भारत और मोदी को नवाज प्यारे हैं, लेकिन वे हमारी सेना से नफरत करते हैं।’ इमरान ने अपने पूरे कैंपेन में काफी उग्र तरीके से कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत को कश्मीर में हिंसा का जिम्मेदार बताया है।
यहां तक कि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इमरान ने काफी तीखे तेवर दिखाते हुए कहा था कि ‘मैं नवाज शरीफ को बताऊंगा कि मोदी को कैसे जवाब देना है।’
अब जिस तरह से इमरान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तानी जनता को अपना स्टैंड दिखाया है, वह इसी ओर इशारा कर रहा है कि पड़ोसी मुल्क के प्रति उनकी नीति भारत के लिए हानिकारक हो सकती है। पाकिस्तान में उदारवादी धड़े के बीच इमरान ‘तालिबान खान’ के नाम से जाने जाते हैं।
दरअसल पाकिस्तान के कट्टरपंथी धड़ों का समर्थन करने की वजह से इमरान को यह नया नाम मिला है। 2013 में अमेरिकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का कमांडर वली-उर-रहमान मारा गया था। उस समय इमरान ने उसे ‘शांति समर्थक’ के खिताब से नवाजा था।
उत्तर पश्चिम प्रांत खैबर पख्तुनख्वा में इमरान की प्रांतीय गठबंधन सरकार ने 2017 में हक्कानी मदरसे को 30 लाख डॉलर की मदद दी। हक्कानी मदरसे को एक तरह से तालिबान का बैक बोन कहा जाता है। पूर्व तालिबान चीफ मुल्ला उमर समेत अन्य नेताओं ने यहीं से शिक्षा हासिल की थी।
इमरान को पाकिस्तानी सेना का फेवरिट माना जा रहा है। पाकिस्तानी की राजनीति में काफी अंदर तक धंसी इस मुल्क की सेना कभी भी भारत के साथ अच्छे संबंधों की हिमायती नहीं रही है। ऐसे में इस बात की आशंका है कि इमरान के हाथ में अगर सत्ता आई तो पाकिस्तान में कट्टरपंथियों को उभार मिलेगा।