चेन्नई मेरे ख़ाबों ( सपनो) का शहर बन सकता है : अब्दुल कलाम

साबिक़ सदर जमहूरीया (पूर्व राष्ट्रपति) ए पी जे अब्दुल कलाम ने आज एक ब्यान देते हुए कहा कि चेन्नई शहर के लिए इनका देरीना (पुराना) ख़ाब है कि यहां 2020 से 2030 आबी ग्रिड, बायो फ़्यूल और शमसी तवानाई ( सौर उर्जा) का इस्तेमाल आम हो जाए। यही नहीं पैदल चलने वालों और साईकल सवारों के लिए सड़कों पर अलग अलग राहदारयां ( रास्ते) तामीर की जाएं।

एक तक़रीब से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि वो जब जब चेन्नई आते हैं तो उन्हें यही ख़्याल आता है जिसका ज़िक्र उन्होंने ऊपर किया और जैसा कि फ़िलहाल कैनेडा में अवाम की सहूलतों का ख़्याल रखा गया है। उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि वो ऐसे शहर का ख़ाब देखते हैं जहां दो पहीयों और चार पहीयों की गाड़ीयों में बायो फ़्यूल और शमसी तवानाई (और उर्जा) का इस्तेमाल हो ताकि मुज़िर (नुकसानदेह) रसां गैसों का इख़राज (व्यत/खर्च) ना हो सके।

चेन्नई शहर में गुज़शता चंद दिनों से तक़ारीब का सिलसिला चल रहा है। जहां ए पी जे अब्दुल कलाम को मदऊ (आमंत्रित) किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि तरक़्क़ी याफ़ता बैरूनी ममालिक में राहगीरों और साईकल सवारों के लिए जिस तरह सड़कों पर अलैहदा अलैहदा राहदारयां ( रास्ते) हैं, बिलकुल वही राहदारयां यहां भी होनी चाहीए।

कार्बन से पाक शहरों के लिए ज़रूरी है कि ज़्यादा से ज़्यादा बायो फ़्यूल और शमसी तवानाई ( सौर उर्ज़ा) का इस्तेमाल किया जाए। उन्हों ने तवक़्क़ो ( उम्मीद) ज़ाहिर की कि 2030 तक 100 मिलीयन शजरकारी और मोटर गाड़ीयों के लिए काबिल तजदीद तवानाई ( उर्ज़ा)के इस्तेमाल से रियासत तमिलनाडू एक मिसाली रियासत ( राज्य) बन जाएगी।

उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि उनके ख़ाबों में एक ऐसा शहर बसा रहता है जिस का नमूना उन्होंने दुनिया के किसी भी मुल्क में नहीं देखा वो जो जो सोचते हैं बिलकुल इसी के हुबहू सहूलयात मुकम्मल तौर पर दुनिया के किसी भी शहर में मौजूद नहीं लिहाज़ा अगर मेरे ख़ाबों का शहर चेन्नई बन जाए तो मेरे लिए इस से ज़्यादा ख़ुशी और क्या होगी।