चौकीदार की यह कैसी चौकसी कि चौकी लेकर भागा चौकसी- रवीश कुमार

चौकसी अपनी चौकी लेकर भारत से भागा था, भाग रहा था मगर अब थक कर उसने अपनी चौकी एंटिगुआ में टिका दी है। हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी ग़ज़ब का हीरा निकला। उसके चौकीदार भी हीरा निकले। चौकीदार चौकीदारी करते रह गए और चौकसी की टैक्सी उस एंटीगुआ में पार्क हो गई है जहां के कर्टली एम्ब्रोस की घातक गेंदबाज़ी से भारतीय बल्लेबाज़ डरते थे। जिस तेज़ी से मेहुल और नीरव पंजाब नेशनल बैंक के 13,500 करोड़ लेकर भागे हैं, कर्टली एम्ब्रोस उतनी तेज़ी से भाग ही नहीं सकते हैं।

मेहुल चौकसी ने एंटीगुआ का पासपोर्ट बनवा लिया है। कुछ पैसे देकर उसकी नागरिकता ले ली है। भारत की नागरिकता और पासपोर्ट छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री मोदी कहते रहते हैं कि भारत के पासपोर्ट का भाव बढ़ गया है। नीरव मोदी को भी खूब घूमने का शौक है। भारत से भागने के बाद उसने कई देशों की यात्राएं की हैं। तब जब भारत ने उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया था। अब चूंकि प्रधानमंत्री के हिसाब से भारत के पासपोर्ट का भाव बढ़ गया है इसलिए तमाम मुल्कों के इमिग्रेशन विभाग ने रद्द किए हुए पासपोर्ट पर भी नीरव को घूमने दिया है। चौकसी ने भारत का पासपोर्ट त्याग कर प्रधानमंत्री का अपमान किया है। एंटीगुआ अगर भारत को ऐसे आंख दिखाएगा तो हमारे मोदी जी उसे निकारागुआ भेज देंगे!

आने दीजिए रवांडा से मोदी जी को, 200 गायों की इंटरनेशनल डिलिवरी में ज़्यादा वक्त नहीं लगता है। ये काम तो आमेज़ॉन कर सकता था मगर गाय का मामला है तो मोदी जी ख़ुद लेकर गए हैं। वहां से लौटते ही वे ख़ुद ही वहां के राष्ट्रपति को फोन करेंगे और कहेंगे कि मैं अपने नागरिक को भारत नहीं ला सका, कम से कम तुम अपने नागरिक को भारत भेज दो। तब तक सुष्मा जी एंटीगुआ के राजदूत को बुलाकर उन्हें इस्लामाबाद भेज दें। एंटीगुआ ने मेहुल चौकसी को पासपोर्ट देकर भारत को चुनौती दी है। उसकी हिम्मत देखिए, इंटरपोल के ज़रिए भारत को नहीं बताया, बल्कि सीधे बताया है। ऐसा इंडियन एक्सप्रेस में सूत्रों के हवाले से छपा है।

अच्छी बात है कि एंटीगुआ जाकर भी मेहुल चौकसी भारत में भीड़ द्वारा की जा रही हत्या की ख़बरों को ग़ौर से पढ़ रहा है। एक बैंक की हत्या करते वक्त उसे डर नहीं लगा मगर अलवर, दादरी और धुले की घटना पढ़कर डर गया है। उसने भारत की अदालत को बता दिया है कि इसी कारण वह भारत नहीं आ रहा है। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक व्यवस्था भी दे दी है कि भीड़ की हत्या को कैसे रोकना है, इसके बाद भी चौकसी ने अपनी चौकी यहां से उठाकर एंटीगुआ में टिका दी है।

कांग्रेस के नेता एंटीगुआ के राष्ट्रपति के साथ भारत के चौकीदार की बातचीत की तस्वीरें साझा कर रहे हैं। तस्वीर देखकर लगता है कि कल ही मोदी जी कह रहे हों कि एंटीगुआ में चौकसी को एडजस्ट कर लीजिए। लेकिन वो तस्वीर पुरानी है। इस घटना से उसका कोई संबंध नहीं है। बड़े नेता फोटो खींचाते रहते हैं।

मेहुल चौकसी को भीड़ से डर लग रहा है या उन लोगों से जो अपना नाम बाहर आने के डर से उसे डरा रहे हैं। मेरी राय में मेहुल चौकसी को एंटीगुआ के संविधान की शपथ लेते हुए सबके नाम बता देने चाहिए। आपको याद होगा नीरव मोदी के पीछे लगी जांच एजेंसी रेवाड़ी पहुंच गई, योगेंद्र यादव के रिश्तेदारों के घर। क्योंकि उन्होंने नीरव मोदी के यहां से ख़रीदारी की थी। वैसे उसकी दुकान से औरों ने भी की होगी तो क्या वहां छापे पड़े होंगे। हिसाब मांगे गए। ज़ाहिर है योगेंद्र यादव को किस लिए सज़ा दी जा रही थी।

अब संसद में फिर से चौकीदार बनाम कामदार चलेगा। राहुल गांधी बोलेंगे कि चौकीदार भागीदार हो गया है। ये कैसी चौकसी कि चौकसी ही भाग गया, भागा ही नहीं ,भारतीय से एंटीगुअन हो गया। राहुल गांधी कहेंगे कि चौकसी के चौकीदार हाज़िर हों। मोदी जी कहेंगे कि हम कामदार हैं, नामदार नहीं हैं। मेरा काम दिल्ली में तिजोरी की रक्षा करना था। किसी भागते हुए को पकड़ना नहीं। इसके बाद भी मैं तब से देश देश घूम रहा हूं कि कहीं तो माल्या मेहुल मिलेंगे। अब तो मैं गौशाला तक जाने लगा कि वहां भी छिपे होंगे तो मिल जाएंगे। नहीं मिल रहे हैं तो ये राहुल गांधी राजनीति कर रहे हैं। जो चौकीदारी मैं नहीं कर सकता, वो चौकीदारी करने के ख़्वाब देख रहे हैं।

इन सबके बीच जो मालदार है वो फ़रार हैं। वो समझ गए हैं कि चुनाव आ रहे हैं। अभी सबको हमारी ज़रूरत है। रैलियां होनी हैं। सोशल मीडिया पर अभियान चलने हैं। वैसे एक भागे हुए मालदार ने संकेत दिया है कि वह भारत आ सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड में ख़बर छपी है कि विजय माल्या भारत आ सकता है। वो जांच एंजेसिंयो का सामना करने के लिए तैयार हो गया है।

अगर चैनलों पर हिन्दू मुस्लिम मसले पर डिबेट बढ़ा दें तो देश को इन सब मुद्दों से बचाया जा सकता है। टीवी पर ये सब डिस्कस करना ठीक नहीं लगता है कि कोई 13,500 करोड़ लेकर भाग गया। वैसे चुनाव आ रहे हैं तो पैसे की जरूरत पड़ती है। सबको पड़ती है।

(यह लेख वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक वाल से लिया गया है)