चौबीस साल बीत जाने के बावजूद बाबरी मस्जिद का हक न मिल पाना लोकतंत्र के नाम पर कलंक: मोहम्मद रहमानी

नई दिल्ली: अबुल कलाम आजाद इस्लामिक अवेकिंग सेंटर, नई दिल्ली के अध्यक्ष जनाब मौलाना मोहम्मद रहमानी सुनाबली मदनी ने सेंटर की जामा मस्जिद अबुबकर जूगाबाई में जुमा के खुतबा के दौरान, मौलाना रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पवित्र जीवनी पर चर्चा फ़रमाया और कहा कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर 24 साल बीत जाने के बावजूद कोई फैसला न आने पर खेद व्यक्त किया और इसे लोकतंत्र पर कलंक करार दिया.

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प्रदेश 18 के अनुसार, खतीब महोदय ने कहा कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर 24 /बरस बीत जाने के बावजूद कोई फैसला न आने पर खेद व्यक्त किया और इसे लोकतंत्र पर कलंक करार दिया तथा बाबरी मस्जिद की संक्षिप्त इतिहास का जिक्र करते हुए निम्नलिखित बातों का उल्लेख है: बाबरी मस्जिद 1527 में निर्माण किया गया, 1575 में तुलसीदास ने किताब लिखी लेकिन राम मंदिर का कोई उल्लेख नहीं किया, 1857 में मस्जिद के बगल में एक दीवार खड़ी करके कुछ हिस्सा हिंदुओं के हवाले कर दिया गया, 1883 में इस हिस्से में मंदिर बनाने की नाकाम कोशिश हुई, 1885 में मंदिर बनाने की अर्जी अदालत ने खारिज कर दी, 1886 में अपील भी खारिज कर दी गई, 1877 में पहली बार यह बात कही गई कि उसे मंदिर को गिराकर बनाया गया है, 1934 में हिन्दू-मुस्लिम दंगे में मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गया, 1949 में मूर्तियां रख दी गईं, 1950 में मुसलमानों ने मुकदमा किया, 1992 में इसे ध्वस्त कर दिया गया.