राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 16 महिलाओं को अक्टूबर 2015 में छत्तीसगढ़ के बाजपुर जिले में राज्य के पुलिस कर्मियों द्वारा रेप, यौन व शारीरिक उत्पीड़न का पीड़ित पाया है। आयोग ने अपने विचार पेश करते हुए कहा कि “प्रथम दृष्टया यह पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है, जिसके लिए राज्य सरकार परोक्ष तौर पर जिम्मेदार है।” आयोग ने यह भी कहा कि वह 20 अन्य महिलाओं के बयान दर्ज नहीं कर पाया और NHRC ने एक माह के भीतर इन महिलाओं के बयान की मांग की है।
मानवाधिकार आयोग ने चीफ सेक्रेटरी को नोटिस भी भेजा है जिसमें राज्य सरकार से कारण पूछा गया है कि पीड़ित महिलाओं को 37 लाख रुपए की अंतरिम मौद्रिक राहत क्यों ना दी जाए। अपनी प्रेस विज्ञप्ति में NHRC ने कहा कि आयोग ने हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की 2 नवंबर 2015 को आई रिपोर्ट का संज्ञान लिया और 22 फरवरी 2016 को घटनास्थल पर एक जांच टीम भेजी थी।
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि छत्तीसगढ़ के पुलिस कर्मियों ने बाजपुर जिले के पांच गांवों की महिलाओं की 40 से ज्यादा महिलाओं के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीढ़न किया और दो के साथ सामुहिक बलात्कार किया गया। अकेले पेडागेल्लूर गांव के लोगों ने चार महिलाओं के साथ रेप होने का आरोप लगाया था, पीड़ितों में से एक 14 साल की लड़की थी।
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द इंडियन एक्सप्रेस की 2 नवंबर 2015 को आई रिपोर्ट द इंडियन एक्सप्रेस की 2 नवंबर 2015 को आई रिपोर्ट
NHRC ने कहा कि उनकी टीम सिर्फ 14 पीड़ितों का बयान ले पाई, जबकि एफआईआर में 34 महिलाएं पीड़ित थीं। आयोग ने कहा, “इन घटनाओं की अधिकतर पीड़ित महिलाएं आदिवासी हैं। हालांकि, किसी भी मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम लागू नहीं किया गया। इसी वजह से पीड़िताओं को SC/ST एक्ट के तहत आने वाली आर्थिक राहत प्रदान नहीं की गई।”