छत्तीसगढ़: देश के मौजूदा हालातों पर इक नज़र दौड़ाएं तो लगता है कि देश में गैर हिन्दू होना एक गुनाह हो गया है। एक वक़्त था जब ‘भगवा,सफ़ेद,हरा है जीवनचक्र मेरा‘ लफ्ज़ देश में धर्मों के मेलजोल और लोगों की उनके मुल्क हिंदुस्तान को लेकर प्यार बयां करते थे। लेकिन आज के वक़्त में ऐसा महसूस हो रहा है कि तिरंगे में से बाकी के रंग गायब कर इसे सिर्फ भगवा बनाने की साजिश रची जा रही है।
इस बात को साबित करने के लिए न तो किस्सों की कमी है और न ही लोगों की तरफ से चुने गए किसी जनता के नौकर के बयान की। फिर भी आज हम आपसे सांझा करना चाहेंगे ऐसा ही किस्सा जिसने देश के रंग-बिरंगे सामुदायिक ताने बाने को दागदार करने का काम किया है। घटना है छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके की जहाँ हिन्दू कट्टरवादी संगठन बजरंग दल के कुछ गुंडों ने 17 अप्रैल की रात एक चर्च में घुसकर न सिर्फ चर्च के पादरी को डराया धमकाया और पिटाई की बल्कि तलवार के दम पर उससे ‘जय श्री राम’ बुलवाने की कोशिश भी की गई। लेकिन चर्च के पादरी दिनबंहु समेली को इन गुंडों की कोई धमकी नहीं तोड़ सकी पादरी दिनबंहु के जय श्री राम से मना करने पर इन गुंडों ने पादरी की बीवी ‘मीना’ जोकि साथ महीने की गर्भवती थी की भी पिटाई कर इस दम्पति पर पेट्रोल छिड़क दिया और चर्च को भी आग लगा दी। पेट्रोल से भीगे इस दम्पति के पास जान बचाने के लिए उस जलते चर्च को छोड़ कर भागने का कोई रास्ता नहीं था और लेकिन इस घटना को उन्होंने खुल कर मीडिया और लोगों के सामने रखा ताकि लोगों को सच पता चल सके लेकिन प्रशासन ने इस पर जो कार्यवाई अभी तक की है उससे लगता है कि प्रशासन और सरकार अलपसंख्यकों और दलितों के मामले में इन्साफ दिलाने में उस रफ़्तार पर नहीं काम कर पाती है जितनी रफ़्तार से ‘गाय‘ या ‘भगवे रंग से जुड़े मामलों पर‘
देश में आज के हालातों को देख कर अगर बात करें तो साफ़ तौर पर कहा जा सकता है देश की सरकार तानाशाह और हिन्दू संगठन कट्टर होते चले जा रहे हैं। देश की सरकार जो किसी तरह कुर्सी पर बने रहना चाहती है उन सभी पैंतरों पर काम कर रही है जिससे सरकार विरोधी सोच के लोग दब जाएँ और लोगों की कमान सरकार के हाथों में आ जाए। यही वजह है कि देश में अलपसंख्यकों पर हो रहे अत्त्याचार को लेकर न तो सरकार कुछ बोलती है और न कुछ करना चाहती है। ऐसे में हिन्दू कट्टरपंथियों के हौंसले जहां आसमाँ से भी ऊंचे होते नज़र आ रही हैं वहीँ अलपसंख्यक और देश के दलित उस घडी को कोस रहे हैं जिस घडी उन्होंने अपने वोट का इस्तेमाल बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए किया था।
छत्तीसगढ़ में हुई यह घटना एक अकेली ऐसी घटना नहीं है जिसमें देश में गैर-हिंदुओं पर इस तरह जबरदस्ती भगवा रंग थोपा जा रहा है। देश के दलित जिन्हें मूलनिवासी भी कहते हैं भी इस भगवे रंग से काफी वक़्त से परेशान हैं। देश की जनसँख्या के महज 3% ब्राह्मण देश के 83% मूलनिवासियों को यह कहकर मूर्ख बनाती आई कि वह भी हिन्दू हैं। लेकिन दुःख की बात है कि वोट और दंगों के वक़्त ब्राह्मण इन मूलनिवासियों को हिन्दू बता कर इनका इस्तेमाल करता है और काम हो जाने के बाद इन्हें दलित और अछूत कह कर दुत्कारा जाता है।
यह बात तो हुई सिर्फ दलितों पर हो रहे अत्याचार की इसके इलावा अगर सिर्फ क्रिस्चियन धर्म से जुड़े लोगों की बात करें तो अकेले छत्तीसगढ़ में कुल आबादी का 1% हिस्सा होने के बावजूद इन लोगों के ऊपर काफी अत्याचार हो रहे हैं। और वो अत्याचार सिर्फ उन्हें हिन्दुधर्म में धर्मांतरण करवाने के लिए दवाब बनाने के लिए हिन्दू कट्टरवादियों की तरफ से किये जा रहे हैं। ऐसे अत्याचार ज्यादातर छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग, राजनंदगांव, बस्तर, सरगुजा और रायगढ़ जैसे इलाकों में सामने आती हैं।
मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता के आने के बाद जहाँ पूरे देश में जहाँ देश का साम्प्रदायिक तानाबाना बिगड़ता चला जा रहा है वहीँ क्रिस्चियन समुदाय के लोगों पर भी अत्याचारों में बढ़ौतरी हुई है। इस घटना के इलावा साल 2014 के अक्टूबर में हाईकोर्ट में हुई घटना, फरवरी 2015 में छत्तीसगढ़ के अकलतरा में हुई घटना, मार्च 2016 में छत्तीसगढ़,रायपुर के कचना इलाके की घटनाएं एक ही तरफ इशारा करती हैं।
अब आने वाले वक़्त में यह कट्टरवाद क्या रंग लाता है यह देखने की बात होगी।