छत्तीसगढ़ एसेंबली इंतिख़ाबात के नताइज के बाद बी जे पी ने यहां मुसलसल तीसरी बार इक़तिदार पर क़बज़ा करलिया है लेकिन सबसे अच्छी बात ये हुई कि इंतिख़ाबात में 10 ख्वातीन उम्मीदवारों (गुजिश्ता इंतिख़ाबात से सिर्फ़ एक कम) को कामयाबी हासिल हुई।
एक इंतिख़ाबी ओहदेदार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 2008 के इंतिख़ाबात में जुमला 94 उम्मीदवार मैदान में थे, जिन में से 11 ख़ातून उम्मीदवारों को कामयाबी मिली थी। जिन 10 ख्वातीन को कामयाबी मिली है इन में से 6 का ताल्लुक़ बी जे पी से और 4 का ताल्लुक़ कांग्रेस से है जिन में साबिक़ वज़ीर-ए-आला अजीत जोगी की अहलिया रेनू जोगी भी शामिल हैं।
याद रहे कि छत्तीसगढ़ में दो मराहिल में इंतिख़ाबात किए गए थे, जिन में जुमला 85 ख्वातीन मैदान में थीं जिन में से 10 को कामयाबी हासिल हुई है। बी जे पी की टिकट पर जिन ख़ातून उम्मीदवारों ने कामयाबी हासिल की है उन में चंपा पवई पावले, सुनीति सत्यानंद राथिया, केराबाई मुनहिर, रूप कुमारी चौधरी, राम शीला साहू और सरोजनी बंजारे शामिल हैं।
यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्पी से ख़ाली ना होगा कि सारण गढ़ एसेंबली हलक़ा से ख़ातून उम्मीदवार को टिकट देने को तर्जीह दी गई थी क्योंकि छत्तीसगढ़ रियासत के क़ियाम के बाद अब तक मज़कूरा हलक़ा से किसी मर्द उम्मीदवार ने कामयाबी हासिल नहीं की। अजीत जोगी की अहलिया रेनू गवजी ने कोटा से बी जे पी हरीफ़ काशी राम साहू को 5089 वोटों से मात दी।
याद रहे कि इंतिख़ाबात से क़बल ये क़ियास आराईयां की जा रही थीं कि कांग्रेस को ज़बर्दस्त कामयाबी मिलेगी लेकिन कामयाबी ऐसी नहीं रही जिस की उम्मीद की जा रही थी। ऐसा मालूम होता है कि ख्वातीन को 33 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की जो बात की जाती है उसे ख़ुद ख्वातीन अमली जामा पहना सकती हैं। आइन्दा साल आम इंतिख़ाबात के बाद सूरत-ए-हाल का सही अंदाज़ा लगाया जा सकेगा।