झारखंड हाइकोर्ट ने झाविमो से भाजपा में गये छह एमएलए के राज्यसभा इंतिख़ाब में वोट देने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस सिलसिले में झाविमो सदर बाबूलाल मरांडी की तरफ से दायर याचिका पर एलेक्शन कमीशन, स्पीकर, तमाम छह एमएलए को तहरीरी तौर से जवाब दाखिल करने की हिदायत दिया है। जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक़्त दिया है।
जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने बुध को मामले की सुनवाई के दौरान कहा राज्यसभा इंतिख़ाब में वोट डालने का वक़्त नजदीक है। ताखीर से दरख्वास्त दायर कर ख़्वाह की तरफ से स्पीकर के हुक्म पर रोक लगाने की मुतालिबात मुनासिब नहीं है। एसेम्बली सदर ने 12 फरवरी 2015 को हुक्म दिया था। लेकिन ख़्वाह ने 26 जून को याचिका दायर की है। ख़्वाह खुद रियासत के वजीरे आला रह चुके हैं। उन्हें स्पीकर के हुक्म के रिजल्ट की जानकारी होनी चाहिए थी।
इससे पहले वकील विनोद पोद्दार ने अदालत में कहा कि याचिका कुबूल करने के काबिल नहीं है। वह तहरीरी तौर से दरख्वास्त दायर करेंगे। इसके लिए अदालत ने उन्हें दो सप्ताह का वक़्त दिया। सुनवाई के दौरान ख़्वाह की तरफ से सीनियर वकील राज नंदन सहाय ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के मुखतलिफ़ हुक्म व कानूनी तजवीजों का हवाला देते हुए कहा कि झाविमो से भाजपा में गये छह एमएलए के मामले में एसेम्बली सदर का 12 फरवरी को दिया गया हुक्म भारतीय कानून के खिलाफ है।
झाविमो से टूट कर गये छह विधायकों को अगले हुक्म तक भाजपा एमएलए दल का मेम्बर माना जाना कानूनी तजवीजों के खिलाफ है। एसेम्बली सेक्रेट्रिएट और एलेक्शन कमीशन की लिस्ट में डिफरेंस है। है. इन छह एमएलए को राज्यसभा इंतिखाब में वोट डालने से रोका जाये।