हैदराबाद 27 दिसंबर: सुपर स्टार शाहरुख खान ने युवा छात्रों को सलाह दी के वह करियर के चुनाव में अपने दिल की सुनो और जो कुछ वे करना चाहते हैं वही करें तो जीवन में बाद में अपने करियर को लेकर उन्हें कोई अफसोस बाकी न रहे।
शाहरुख खान मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय के छठे कानोकेशन में एज़ाज़ी डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों से थोडा सा विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब यह छात्र उनके (शाहरुख) की उम्र को पहूंचेंगे या अपने माता पिता की उम्र को पहूंचेंगे या अपने शिक्षक की उम्र को पहूंचेंगे तो उन्हें यह अफसोस पैदा हो सकता है कि उन्होंने अपने करियर को लेकर वह फैसला क्यों नहीं किया जो उनका दिल चाहता था।
वह हर लड़के और लड़की से यही कहना चाहते हैं कि वे करियर के चुनाव में अपने दिल की सुनो। शाहरुख खान को उर्दू भाषा के विकास में उनकी सेवाओं के बदले यह डिग्री प्रदान की गई है।
बॉलीवुड सुपर स्टार ने अपने मरहूम पिता की याद ताजा की और कहा कि उनके पिता हालाँकि बहुत अधिक धनी नहीं थे लेकिन उन्होंने जीवन में कई चीजें सिखाई हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता एक हनुमान मंदिर के पुजारी के साथ शतरंज खेला करते थे। अभिनेता ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें यह सिखाया है कि दूसरों के साथ कैसे काम करना चाहिए। किसी को जीवन में आगे बढ़ने के लिए कई बार एक कदम पीछे भी हटना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि जीवन में कोई भी छोटा नहीं होता। हर कोई किसी न किसी लम्हा पर कारगर साबित होता है और हम दूसरों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने उन्हें एक टाइप राईटर दिया था और कहा था कि आप को टाइपिंग करते हुए मुश्किल का सामना करना पड़ता है। जब वह (शाहरुख) टाइपिंग सीख गए तो उन्हें पता चला कि किसी भी चीज की कोशिश ही आप को सफलता प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि जीवन में जो कुछ भी किया वह सब दिल से करने की जरूरत है और यह समझकर करें के यह काम करने का यह आखिरी मौका है। शाहरुख खान ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें बच्चों जैसी मासूमियत और खुश मिज़ाज रखने की शिक्षा दी थी।