छोटा राजन फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन  फर्जी पासपोर्ट मामले में सेवानिवृत्त पासपोर्ट अधिकारी ललिता लक्ष्मणन के ख़िलाफ़   आपराधिक और भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करने के लिए  लक्ष्मण की एक याचिका पर केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया है ।

जस्टिस आईएस मेहता ने  लक्ष्मण की याचिका पर सुनवाई करते हुए 8 जुलाई तक सीबीआई से जवाब माँगा है|

अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सरगना राजेंद्र सदाशिव निखिलजे उर्फ छोटा राजन ने रहाटे, शाह और लक्ष्मण के साथ मिलीभगत से 1998-99 में बेंगलुरू से मोहन कुमार के नाम पर जारी किया फर्जी पासपोर्ट हासिल किया था |

लक्ष्मण, के साथ  दो अन्य पासपोर्ट अधिकारियों जयश्री दत्तात्रेय रहाटे और दीपक नटवरलाल शाह को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और दस्तावेजों की जालसाजी के आरोपों में मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।

8 जून को, एक निचली अदालत ने फर्जी पासपोर्ट मामले में छोटा राजन और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे| राजन अभी न्यायिक हिरासत में है जबकि बाकि तीनों ज़मानत पर बाहर हैं |

लक्ष्मण ने अपने अधिवक्ता सत्यनारायण वशिष्ठ के माध्यम से दाख़िल की गयी याचिका में कहा कि निचली अदालत ने 8 जून को जो आदेश दिया था वह पूरी तरह से “अवैध और अनुचित था |

उसने यह भी कहा जांच एजेंसी ने उसके खिलाफ कार्यवाही करने से पहले पासपोर्ट अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी नहीं ली थी |

याचिका में कहा है कि वर्ष 1998-1999 में जब कथित तौर पर छोटा राजन  को पासपोर्ट जारी किया गया था वह बैंगलोर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में एक सहायक के रूप में तैनात था | अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि दिल्ली की निचली अदालत ने उसके और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ जिन अपराधों पर कार्यवाई की है वह उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है क्यूँकि कथित तौर पर पासपोर्ट बंगलौर में जारी किया गया था और दिल्ली में कुछ भी नहीं हुआ है |

कथित तौर पर हत्या ,जबरन वसूली, तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे  85 से अधिक मामलों में शामिल राजन  पर महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात के साथ सीबीआई में भी उसके ख़िलाफ़ कई मामले लंबित हैं |
डॉन को 25 अक्टूबर, 2015 को इंडोनेशियाई पुलिस द्वारा पकड़े जाने के  बाद 6 नवंबर, 2015 को भारत भेज दिया गया था ।