छोटी रियास्तें

हिंदूस्तान के फ़आल जमहूरी निज़ाम में छोटी रियास्तों के वजूद से अवामी ख़िदमात और हुक्मरानी के फ़राइज़ की अदायगी में कोई मनफ़ी असरात मुरत्तिब नहीं होंगी। छोटे छोटे इलाक़ों की देख भाल और नज़म-ओ-ज़बत की बरक़रारी में मदद मिलेगी। रियासत यूपी को चार हिस्सों में तक़सीम करने चीफ़ मिनिस्टर मायावती का मुतालिबा भी एक फ़आल हुक्मरानी की फ़राहमी, अवामी ख़िदमात को मोस्सर बनाने में मुआविन साबित होने का हिस्सा है।

मर्कज़ की बरसर-ए-इक्तदार कांग्रेस हुकूमत को छोटी रियास्तों की तशकील के मसला पर सयासी सोच और ज़ाती मुफ़ादात से बालातर होकर अवाम के वसीअ तर फ़वाइद की रोशनी में ग़ौर करना होगा। चीफ़ मिनिस्टर उत्तरप्रदेश मायावती ने रियास्ती असैंबली में बाक़ायदा क़रारदाद मंज़ूर करने का ऐलान किया है। इन की काबीना ने मुत्तफ़िक़ा तौर पर इस तजवीज़ की हिमायत की है। अवाम के जज़बात को मल्हूज़ रख कर नई रियास्तें क़ायम की जाएं तो नज़म-ओ-नसक़ का मुआमला भी मोस्सर होगा। उत्तरप्रदेश में 2012 के असैंबली इंतिख़ाबात होने वाले हैं। ऐसे में चीफ़ मिनिस्टर मायावती का चार छोटी रियास्तों के क़ियाम का मुतालिबा कई सयासी हलक़ों के लिए बाइस तशवीश होसकता है।

प्रो आंचल (मशरिक़ी इलाक़ा) , बुंदेलखंड, अवध प्रदेश (वस्त इलाक़ा) और पच्छिम प्रदेश (मग़रिबी इलाक़ा) अगर नई रियास्तों के तौर पर उभरीं तो 19 करोड़ से ज़ाइद आबादी वाली रियासत यूपी की बेहतर तरक़्क़ी की राह हमवार होसकती है। प्रो आंचल रियासत के बनाए जाने पर ये रियासत 32 अज़ला पर मुश्तमिल होगी और इस के 30 लोक सभा हलक़े होंगी। इस के बाद दूसरी बड़ी रियासत अवध प्रदेश कहिलायगी जहां 14 अज़ला और 25 लोक सभा नशिस्तें होंगी। पच्छिम प्रदेश का रकबा भी बड़ा है और यहां 22 अज़ला के साथ 18 अरकान-ए-पार्लीमैंट होंगी। जहां तक बुंदेलखंड का सवाल है ये छोटी रियासत जुमला 7 अज़ला और 7 लोक सभा हलक़ों पर मुश्तमिल होगी। गोया 80 लोक सभा अरकान और 403 अरकान असैंबली पर मुश्तमिल रियासत यूपी के चार हिस्सों में मुनक़सिम करने से अवाम की ख़ाहिशात और आरज़ूओं पर ज़्यादा से ज़्यादा तवज्जा देने का मौक़ा मिलेगा।

अवाम के मुंतख़ब नुमाइंदों को अपने हलक़ों की तरक़्क़ी में ज़ाती तौर पर दिलचस्पी लेने का भी पहले से ज़्यादा मौक़ा हासिल होगा। उत्तरप्रदेश को हिंदूस्तान की सब से बड़ी रियासत का दर्जा है इस का रकबा दीगर इलाक़ों से बढ़ कर है। इस लिए चीफ़ मिनिस्टर यूपी का इसरार है कि यूपी को बहरहाल 4 हिस्सों में तक़सीम किया जाए। दस्तूर के जदूल 3 के मुताबिक़ मर्कज़ को रियास्तों का नया नाम रखनी, तंज़ीम नौ या तशकील से मुताल्लिक़ फ़ैसला करना ज़रूरी है। लेकिन यूपी ए की हलीफ़ पार्टीयां मुल़्क की तक़सीम के ख़िलाफ़ हैं। अगर मायावती ने अपनी असैंबली में क़रारदाद मंज़ूर करो अभी लें तो मर्कज़ की जानिब से उन के मुतालिबा को क़बूल करना ग़ैर मुतवक़्क़े है क्यों कि इस वक़्त यूपी ए अपने ही गुनाहों के बोझ से परेशान है वो इलाक़ाई सतह पर तक़सीम के मसला से निमटने की हिम्मत नहीं करसकती।

एक यूपी की तक़सीम का मसला नहीं है। मर्कज़ के लिए सब से देरीना तेलंगाना रियासत की तशकील का मुतालिबा भी पूरा करना है। अलैहदा रियासत तेलंगाना के क़ियाम के लिए शदीद एहतिजाज और हज़ारों नौजवानों की क़ुर्बानीयों को नजरअंदाज़ करनेवाली मर्कज़ी हुकूमत यूपी की असैंबली में सिर्फ क़रारदाद मंज़ूर कर लेने से चार नई रियास्तों का ऐलान करदेगी ये नाक़ाबिल फ़हम है। छोटी रियास्तों की ताईद में पाए जाने वाले जज़बात से इस वक़्त मर्कज़ को कोई सरोकार दिखाई नहीं देता।

वो सिर्फ अपने मुफ़ादात की रोशनी में हुकूमत कररहै है। यूपी जैसी 2.41 लाख मुरब्बा केलो मीटर तवील रियासत को चार हिस्सों में तक़सीम करके तरक़्क़ी के कई महाज़ खोल देने की फ़िक्र उसे नहीं होगी क्यों कि इस ने अगर छोटी रियास्तों का मसला छेड़ दिया तो मुल़्क की दीगर रियास्तों में तक़सीम की लहर उठेगी। इस लिए कांग्रेस का हर लीडर ने इस वक़्त यही रट लगा रखी है कि अलैहदा रियासत या नई रियास्तों की तशकील एक पेचीदा मसला है। चीफ़ मिनिस्टर यूपी ने छोटी रियास्तों के क़ियाम के मुतालिबा के साथ वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह को मकतूब लिखा।

इस का कोई जवाब आए या ना आए उन्हों ने ये वाज़िह करदिया है कि छोटी रियास्तों की तशकील पर ग़ौर करना एक पेचीदा मसला है। उन्हों ने तेलंगाना के क़ियाम से भी इनकार करदेने वाला इशारा दिया है। मर्कज़ी क़ाइदीन ने हमेशा अलैहदा रियासत तेलंगाना के ताल्लुक़ से मनफ़ी सोच का मुज़ाहरा किया है। हिंदूस्तान ही एक वाहिद मुलक है जहां के हुक्मराँ तबक़ा ने सयासी मुफ़ादात की ज़हनीयत और ज़ाती फ़वाइद की पालिसीयों की जड़ों को गहरा किया है। बदक़िस्मती से रियास्ती अवाम को ऐसे हुकमरानों के सयासी फ़ैसलों से उठने वाले मसाइल से दो-चार होना पड़ता है।

तेलंगाना के अवाम बरसों से कई महाज़ों पर महरूमियों का शिकार हैं। रोज़गार, मुलाज़मत, तालीम, तरक़्क़ी, सनअती शोबों में तेलंगाना के अवाम को नजरअंदाज़ करदिया जाता रहा है जबकि इस इलाक़ा की क़ुदरती दौलत को बदतरीन तरीक़ा से लौट खसूट मैं हुक्मराँ तबक़ा के लोग मुलव्वस हैं। इलाक़ा के अवाम बर्क़ी महरूमी से दो-चार हैं, ग़ियास की सरबराही में भी कोताही बरती जाती है। बेरोज़गारी और आसमान से बात करती हुई गिरानी के बाइस इलाक़ा तेलंगाना के अवाम को रोज़गार हासिल होना मुहाल होगया है।

कई अफ़राद तेलंगाना के क़ियाम का इंतिज़ार करते करते इस दुनियाए फ़ानी से कूच करगई। अब यूपी को मुनक़सिम करने की क़रारदाद भी सयासी माफ़िया के नज़दीक बेअसर साबित होगी। बिलाशुबा चीफ़ मिनिस्टर मायावती अपनी जुर्रत इज़हार के लिए सिर्फ सताइश की मुस्तहिक़ हैं। मगर उन के सयासी मक़ासिद के ताल्लुक़ से लोगों को कई शुबहात भी पैदा हुए हैं।