जंतर मंतर पर लगी यह रोक अलोकतांत्रिक और नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन था: प्रशांत भूषण

योगेंद्र यादव के नेतृत्व वाली नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले का स्वागत किया है जिसमें न्यायालय ने जंतर मंतर समेत केंद्रीय दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर लगी रोक को हटा दिया है।

पार्टी प्रवक्ता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि पिछले दस महीनों से जंतर मंतर पर किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगी हुई थी जिसके कारण आम नागरिकों, समूहों और संगठनों के लिए सत्ताधारियों तक अपनी बात पहुँचाना मुश्किल हो गया था। किसी भी लोकतंत्र में नागरिकों की मांगों, सुझावों और पीड़ाओं की सामूहिक अभिव्यक्ति के लिए देश की राजधानी में स्थल होना आवश्यक है।

दिल्ली के जंतर मंतर ने दशकों से हमारे लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व की तरह काम किया है जहाँ देश के कोने कोने से शोषित पीड़ित वंचित नागरिकों और समूहों ने आकर अपनी बात रखी है। इस अधिकार को छीनना एक घोर अलोकतांत्रिक कृत्य था।

अदालत में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कहा कि यह रोक अलोकतांत्रिक और नागरिकों के मौलिक अधिकार का घोर हनन है। मामले की सुनवाई जनसंगठन, मज़दूर किसान शक्ति संगठन की याचिका पर हो रही थी। न्यायालय ने इस बाबत दिल्ली पुलिस कमिश्नर को दो महीनों के अंदर नियम बनाने के निर्देश दिए हैं।

स्वराज इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर आभार प्रकट करते हुए कहा है कि जंतर मंतर, बोट क्लब समेत केंद्रीय दिल्ली के इलाकों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर लगी रोक को हटाना लोकतंत्र और नागरिकों की जीत है।