* राजनितीक पार्टीयों के वक़ार का मसले से वोट की क़ीमत अनमोल बन गई
हैदराबाद [संवाददाता:मुहम्मद मुबश्शिर उद्दीन ख़ुर्रम] पिछ्ले एक माह से जारी आंधरा प्रदेश कि 18 असेंबली सीटों और एक पार्लीमेंट सीट की चुनावी मुहिम आज खत्म हुई।
उप चुनाव की इस मुहिम में ना सिर्फ स्थानिय राजनीतीक पार्टीयों के लिडरों ने वोटरों के दरमयान पहूंच कर अपने उम्मीदवार को कामयाब बनाने की अपील की बल्कि नेशनल राजनितीक पार्टीयों के अहम लिडरों ने भी इन उपचुनाव से काफ़ी दिलचस्पी का मुज़ाहरा किया।
जगन मोहन रेड्डी के कांग्रेस से अलग होने और जयादा वोटों से कड़पा पार्लीमेंट सीट से चुनाव के बाद पैदा होने वाले हालात कि वजह से होरहे इन 18 असेंबली हलक़ों में तमाम राजनितीक पार्टीयों ने अपनी हर मुम्किना कोशिश के ज़रीये अपने उम्मीदवारों को बेहतर साबित करने की कोशिश की। लेकिन अब ये फैसला वोटरों के हाथ में है कि वो जगन मोहन रेड्डी की हिमायत में अस्तीफा देकर उपचुनाव में मुक़ाबला करने वाले उम्मीदवारों को कामयाब बनाते हैं या फिर इन उम्मीदवारों को कामयाब बनाने की कोशिश करते हैं जो पिछ्ले चुनाव में नाकाम साबित हुए थे।
जगन मोहन रेड्डी के हामी असेंबली सदस्यों के अस्तीफ़ों के इलावा चिरंजीवी को राज्य सभा सदस्य बनाए जाने के सबब कुल 18 असेंबली हलक़ों में उपचुनाव होरहे हैं और उन चुनाव के लिए जारी चुनावी मुहिम के दौरान एक ख़ास बात जो नज़र आई इस में तमाम अहम राजनितीक पार्टीयों का चुनावी मुहिम में शामिल होना और जिस राजनितीक लिडर की हिमायत में असेंबली सदस्यों ने अस्तीफ़ा दिया था उसे गिरफ़्तार करते हुए चुनावी मुहिम से दूर कर देना शामिल है।
स्थानिय पार्टीयों खासकर तेल्गुदेशम, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस और दुसरों ने अपने उम्मीदवारों के हक़ में जिस अंदाज़ से मुहिम चलाई इस से एसा महसूस होता है कि इन चुनाव के नतिजों को स्थानिय राजनीतीक पार्टीयों के लिडर अगले आम चुनाव पर असर डालने वाले महसूस कर रहे हैं।स्थानिय राजनितीक पार्टीयों के इस एहसास को नेशनल सियासी पार्टीयों के लिडरों ने भी महसूस करते हुए अपने अहम लिडरों को इस चुनावी मुहिम के लिए रवाना करते हुए इन उपचुनाव की एहमीयत को और बढा दिया है।
डाक्टर वाईएस राज शेखर रेड्डी की मौत के बाद से राजय में आए दिन उपचुनाव होते जा रहे हैं। अभी इन उपचुनाव की मुहिम ख़त्म नहीं हुई कि जगन मोहन रेड्डी की हिमायत में 2 असेंबली सदस्यों ने अस्तीफ़ा देते हुए एक और उपचुनाव की राह हमवार करदी है। इन 18 असेंबली हलक़ों और एक हलक़ा पार्लीमेंट के लिए जहां कांग्रेस के अहमलिडर ग़ुलाम नबी आज़ाद, वायलार रवी के इलावा दुसरों ने राजय के मुख़्तलिफ़ जिलों का दौरा किया वहीं सिर्फ़ हलक़ा असेंबली परकाल में तेलंगाना जज़बा के नाम पर मुक़ाबला कर रही भारतीय जनता पार्टी के अहम लिडर सुषमा स्वराज, शाहनवाज़ हुसैन और प्रकाश जावीडकर ने चुनावी मुहिम चलाते हुए अपने उम्मीदवार को कामयाब बनाने की जान तोड़ कोशिश की है लेकिन नतीजों के मुताल्लिक़ अभि तक इत्मिनान नहीं हैं।
सदर टीआरएस मिस्टर के चंद्रशेखर राउ ने आख़िरी दिनों में हलक़ा असेंबली परकाल का दौरा करते हुए तेलंगाना राष़्ट्रा समीती के हक़ में चुनावी मुहिम चलाई। सदर तेल्गुदेशम मिस्टर एन चंद्रा बाबू नायडू पिछले एक माह से लगातार जिलों के दौरे करते हुए सत्तादार कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस को बद उनवान और बे क़ाईदगियों में लिपीत साबित करने की कोशिश कर रहे थे।
कई जगहों पर उन्हें लोगों की बरहमी का सामना भी करना पड़ा। ना सिर्फ चंद्रा बाबू नायडू बल्कि चीफ़ मिनिस्टर मिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी के क़ाफ़िले पर चुनावी मुहिम के दौरान चप्पल फेंकते हुए लोगों ने सत्तादार पार्टीऔर चीफ़ मिनिस्टर के ख़िलाफ़ अपनी बरहमी ज़ाहिर की है। वाईएसआर कांग्रेस की कारगुज़ार सदर विज्याम्मा और उन की बेटी शर्मीला का मुख़्तलिफ़ जिलों खासकर तेलंगाना के एक हलक़ा असेंबली परकाल जहां पर चुनाव होरहे हैं, जिस अंदाज़ में इस्तिक़बाल किया गया इस से एसा महसूस होता है कि जगन मोहन रेड्डी की चुनावी मुहिम के दौरान गिरफ़्तारी सत्तादार पार्टी के लिए नुक़्सानदेह साबित हुई है। क्योंकि जगन मोहन रेड्डी की बहन और माँ ने जिस अंदाज़ में उन के ख़ानदान पर होने वाले जुल्मों की बिप्ता सुनाई है इस से उन्हें बडी हद तक लोगों कि हमदर्दी हासिल होने का इमकान है।
इन उप चुनाव की मुहिम के दौरान चीफ़ इलैक्ट्रॉल ऑफीसर से मुख़्तलिफ़ राजनितीक पार्टीयों के लिडरों ने मुलाक़ात करते हुए अपने हरीफ़ों के मुताल्लिक़ कई शिकायतें दर्ज करवाई हैं लेकिन कांग्रेस और तेल्गुदेशम पार्टी ने वाईएसआर कांग्रेस के ख़िलाफ़ सब से ज़्यादा शिकायतें दर्ज करवाई हैं जिस में मिडीया खास कर साक्षी को निशाना बनाया गया है।
अब तक मुहिम के दौरान एक अंदाज़ा के मुताबिक़ लगभग 50 करोड़ रुपया और 30 किलो से जयादा सोना ज़बत किया जा चुका है लेकिन अभि तक किसी भी सियासी पर्टी के ख़िलाफ़ चीफ़ इलैक्ट्रॉल ऑफीसर या इलैक्शन कमीशन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही ये साबित किया जा सका है कि ये रकमें किस की हैं? और किस के लिए हैं?
12 जून को होने वाले इन उपचुनाव के नतीजों के मुताल्लिक़ जहां वाईएसआर कांग्रेस मुतमइन हैं वहीं कांग्रेस अपनी मुस्तक़बिल की हिक्मत-ए-अमली तैय्यार करने में लगी है। इसी तरह तेल्गुदेशम पार्टी भी चुनाव के नतीजों और लोगों कि हिमायत के फ़ीसद का जायज़ा लेने बेचैन है।
परकाल असेंबली सिट में जज़्बा ए तेलंगाना के तहत इस्तिमाल होने वाले वोट अगर भारतीय जनता पार्टी और तेलंगाना राष़्ट्रा समीती के दरमयान तक़सीम होजाते हैं तो एसी सूरत में वाईएसआर कांग्रेस उम्मीदवार कोंडा सुरेखा की कामयाबी के इमकानात रोशन होंगे।