* हुकमरान और अपोज़ीशन पार्टीयों के असेंबली सदस्यों के वाई एस आर कांग्रेस में शामिल होने का एलान
निर्मल। (संवाददाता: जलील अज़हर) इंसान कि ज़िंदगी में एसे हालात हर जगह हर मुक़ाम हर शहर में देखने को मिलते हैं कि जब कभी इंसान पर कोई मुसीबत का पहाड़ टूटता है या फिर मआशी हालात में गिरफ़्तार होजाते हैं तो एसे मंज़र में दोस्त अहबाब हो कि रिश्तेदार, दूरियां बढ़ती दिखाई देती हैं। लेकिन आज रियासत के सियासी हालात का गहराइ से जायज़ा लिया जाए तो हालात उलटे हि नजर आते हैं।
स्वर्गीय राज शेखर रेड्डी के बेटे मिस्टर जगन मोहन रेड्डी को सी बी आई ने जेल भेज दिया, एसे वक़्त जबकि रियासत में उप चुनाव 8 असेंबली हलक़ों में होरहे हैं। एसे माहौल में जगन की माँ और बहन ने चुनावी मुहिम में उतरते हुए ख़ानदानी सियासत की विरासत का सबूत पेश कर दिया तो दूसरी तरफ़ जगन मोहन रेड्डी के चाहने वालों की तादाद में हर रोज़ नहीं बल्कि हर घंटा में बढावा होरहा है। असेंबली सदस्य का ओहदा किस क़दर अहम होता है ये सब जानते हैं इस के बावजूद हुक्मराँ पार्टी और अप्पोज़ीशन पार्टी से बाहर निकलते हुए असेंबली सदस्यों ने जगन की पार्टी में शामिल होने का एलान कर दिया।
कांग्रेस जो चिरंजीवी की सीयासी बैसाखी पर अपने इक़तिदार के दिन गिन रही है आज चिरंजीवी की भी एहमीयत का इम्तेहान है अगर तिरूपति हलक़ा असेंबली से कांग्रेस को शिकस्त होजाए तो बेहतर है कि चिरंजीवी सियासी मैदान छोड़ दें। क्योंकि सुपर स्टार सिर्फ फिल्मों में हुआ करते हैं सियासत में नहीं।
पुरे राजय के लोग कहते हैं कि चिरंजीवी ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ पार्टी बनाकर लोगों कि ख़िदमत करने का नारा देते हुए मैदान सँभाला था लेकिन अपने फ़ायदा के लिए पार्टी को कांग्रेस में मिला दिया । पार्टी को कांग्रेस में मिलाने से वोटरों को भि आपस में मिलाना ज़रूरी नहीं। आज वाई एस जगन मोहन रेड्डी की मक़बूलियत से हुक्मराँ पार्टी ही नहीं केन्द्रिय सरकार कि भि शांती जाती रहि। हर जगह यही कहा जा रहा है कि ये तमाम आज़माईशें जगन मोहन रेड्डी के शानदार सियासी भवीष्य की निशानीयां साबित होंगी।
इत्तिहास इस बात पर गवाह हैं कि जिस चीज़ को जितना दबावोंगे वो उतनी हि उभर कर आएगी। जगन की जेल रवानगी के बाद विज्याम्मां और शर्मीला की चुनावी मुहिम में सरों का समुंद्र इस बात का वाज़िह सबूत है कि अब कांग्रेस की घर वापसी यक़ीनी है। दुनिया जानती है कि ग़रीबी चौखट से घर के अंदर दाख़िल होती है तो मुहब्बत खिड़की से भाग जाती है और जब किसी इंसान पर मुसीबत आती है तो साया भी साथ छोड़ देता है। लेकिन ये पहला मौक़ा है कि एक मक़बूल लिडर को बदउनवानीयों के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार करके जेल भेज देने के बाद उन के हक़ में हमदर्दियों की लहर ने एक नई तारीख़ रक़म की है।हकिकत में जगन मोहन रेड्डी ने रियासत की सियासत में बहुत बड़ा तूफ़ान खडा करदिया। जबकि जिलों में हर जमात के लिडर उपचुनाव के नतिजों का बड़ी बेचैनी से इंतेज़ार कर रहे हैं। देखना ये है कि आगे सयासी हालात क्या होंगे।