बी जे पी हुकूमत ने अदलिया में करप्शन पर जारी तनाज़ा के पेश नज़र जजस के बहाली के सिस्टम को बेहतर बनाने की ताईद की है। पार्लियामेंट में अना डी एम के अरकान ने मुसलसल दूसरे दिन भी अदलिया के बहाली के बारे में हंगामा मचा दिया। वज़ीर क़ानून रवी शंकर प्रसाद ने लोक सभा में ये एतराफ़ किया कि काटजू ने जो तबसरा किया है वो वाक़िया पेशरू यू पी ए दौर-ए-हकूमत का है।
ताहम वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर ने जज के बहाली की सिफ़ारिश के सिलसिला में वज़ाहत तलब की है। उन्होंने ख़ाहिश की कि मर्कज़ में एस डी एम के वज़ीर के नाम का इन्किशाफ़ किया जाये , ब्रहम अना डी एम के अरकान नारा लगाते हुए लोक सभा के वस्त में जमा होगए क्योंकि वो मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून रवी शंकर प्रसाद के जवाब से मुतमइन नहीं थे। उस के बिना पर ऐवान का इजलास दो मर्तबा मुल्तवी कर दिया गया। राज्य सभा में भी इस मसला पर कार्रवाई में ख़ललअंदाज़ी देखी गई।
अना डी एम के और डी ऐम के अरकान इजलास के शुरू के साथ ही इस मसला पर बाहम उलझ गए जिस की वजह से इजलास मुख़्तसर वक़फ़ा के लिए रद कर दिया गया। लोक सभा में अना डी ऐम के अरकान के मांग के जवाब में मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून रवी शंकर प्रसाद ने कहा कि 2003-ए-में कालेजियम को कुछ तहफ़्फुज़ात थे और इसने जाँच के बाद फ़ैसला किया था कि जज के मुआमले पर ग़ौर ना किया जाये लेकिन यू पी ए दौर-ए-हुकूमत में वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर से वज़ाहत तलब की गई कि इस जज की सिफ़ारिश क्यों नहीं की गई है।
कालेजियम ने एक बार फिर कहा कि इस जज की सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए। वज़ारत क़ानून के महिकमा इंसाफ़ ने कालेजियम को एक नोट रवाना किया गया जिस में कहा गया कि उनके मुआमले पर ग़ौर किया जाये और उन्हें छूट दी जाये। वज़ीर-ए-क़ानून ने कहा कि ये जज चूँकि अब सबकदोश होचुके हैं, इस लिए ये मुआमला मज़ीद बरक़रार नहीं है। कालेजियम के जजस भी सबकदोश होचुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के शांति भूषण मुक़द्दमा में हवाले देते हुए वज़ीर-ए-क़ानून ने तबसरा किया कि वक़्त पीछे की तरफ़ सफ़र नहीं करसकता। अना डी ऐम के अरकान ने जो अंदेशे ज़ाहिर किए हैं, इनका नोट लिया जा चुका है और जजस के तक़र्रुत के निज़ाम को बेहतर बनाने के लिए एक क़ौमी अदलिया कमीशन तशकील दिया जाएगा जो ऐसे बहाली की सिफ़ारिश करे।