सोशल मीडिया आज दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्लेटफार्म बन गया है जहाँ आम आदमी जिसकी आवाज़ हमेशा दबा दी जाती है खुल कर अपने दिल की बात कह सकता है। हालाँकि कुछ नेता भी अपने “मन की बात” लोगों तक पहुंचाने के लिए इसी प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सही मायने में यह प्लेटफार्म जनता के लिए सबसे ज़्यादा फायदेमंद है।
सोशल मीडिया की ही बदौलत हम इस बात का अंदाजा भी लगा सकते हैं कि देश के मौजूदा हालातों को लेकर सरकार के बारे में लोगों की क्या राय है।
अभी हाल में ही यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद में हुई एक दलित स्कॉलर की मौत की खबर को लेकर लोगों के मन में जो गुस्सा है उसे सोशल मीडिया पर देखा, सुना और पढ़ा जा सकता है।
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टविटर की बात करें तो लोगों ने टविटर पर दलित स्कॉलर रोहित वेलुमा की आत्महत्या के लिए मोदी सरकार और एच.आर.डी मिनिस्टर स्मृति ईरानी पर निशाना साधा है और कहा है कि “स्मृति ईरानी आरएसएस के हाथों की कठपुतली है “। लोगों के मन में स्मृति ईरानी को लेकर उनके एक बयान के बाद फूटा जिसमें स्मृति ने कहा था कि केंद्र सरकार किसी भी यूनिवर्सिटी ने अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देती।
इसके इलावा स्मृति ने कहा था कि हमने दो मेंबरों की एक टीम को घटना की जांच करने के लिए हैदराबाद भेजा है जो हमें बताएगी की यह घटना क्यों हुई। स्मृति ने इसके इलावा कुछ भी कहने से मना कर दिया लेकिन इंटरनेट पर वायरल हो चुके एक खत ने जो कि यूनियन मिनिस्टर बंदारु दत्तात्रेय ने स्मृति ईरानी को लिखा था और यूनिवर्सिटी के मामले में दखल देने के लिए कहा था ने मामला पानी की तरह साफ़ कर दिया है।