जनता परिवार के इंजेमाम में देरी से जदयू और राजद के उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ी हुई है। इत्तिहाद में देरी की वजह रणबांकुरे अपना मुकम्मल इलाका नहीं तय कर पा रहे हैं।
इसका असर उनकी तैयारियों पर पड़ रहा है। हालांकि टिकट की इमकानात को टटोल बहुतेरे दिग्गज अवाम के राब्ते में आने लगे हैं। मगर, बार-बार आलाकमानों के अलग-अलग सुर से वे भी कश्मकश में हैं।
हालांकि जदयू के एक विधान पार्षद वाजेह कहते हैं कि अगर राजद-जदयू में इत्तिहाद न हुआ तो भाजपा को रोकना किसी एक पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। मुजफ्फरपुर जिले के ही एक दीगर वज़ीर मानते हैं कि शुरुआती दौर में ही बड़े लीडरों की जुबानी तकरार ठीक नहीं।
मुजफ्फरपुर के ही एक धुरंधर दोनों पार्टियों में फंसे पेच को लेकर खुद पसोपेश में फंस गये हैं। वे कहते हैं, सूबे की तरक्की को जारी रखने के लिए नीतीश जरूरी हैं और वोट लालू जी के पास है। दूर तक सोचने की जरूरत है। वरना हश्र झारखंड जैसा होगा।
हालांकि जदयू में भी कई ऐसे लीडर हैं जो इस इंतिख़ाब को अकेले दम पर लड़ने की पैरोकारी कर रहे हैं। लब्बोलुआब यहीं, बिना तस्वीर वाजेह हुए अपनी इंतिखाबी सियासत को मांज रहे धुरंधर फिलहाल हवा में ही तीर छोड़ रहे हैं। वे भी इस बात को बखूबी समझ चुके हैं और इससे उनकी बेचैनी बढ़ी हुई है।