जनवाड़ा की मस्जिद हुसैनी बेगम की 75 एकड़ ज़मीन पर क़ब्ज़े!

रियासती वक़्फ़ बोर्ड के दफ़्तर वाक़े नामपल्ली से 29 किलो मीटर फ़ासिला पर एक छोटा सा मौज़ा जनवाड़ा है। उसमान सागर (गंडी पेट) के पिछले हिस्सा में और शंकर पल्ली से कई किलो मीटर पहले ये गावं आता है। क़ुतुब शाही दौर और औरंगज़ेब के दौर के इलावा आसिफ़ जाहि दौर में जनवाड़ा को ख़ुसूसी अहमियत हासिल रही।

क़ुतुब शाही दौर में वहां तीन कमानों वाली एक आलीशान मस्जिद तामीर की गई और इस मस्जिद के मसारिफ़ की तकमील के लिए इस के तहत 75 एकड़ ज़मीन वक़्फ़ करदी गई लेकिन अब इस मस्जिद की 75 एकड़ ज़मीन कहाँ गई? और किस ने इस पर क़ब्ज़े किए जैसे सवालात उठ रहे हैं। हैरत की बात ये है

कि जनवाड़ा में वाक़े इस तारीख़ी मस्जिद हुसैनी बेगम ताल्लुक़ शंकर पल्ली ज़िला रंगा रेड्डी के तहत आरकाउज़ (महकमा आसारे क़दीमा) के रेकॉर्ड में 75 एकड़ ज़मीन बताई गई है जब कि मौक़ूफ़ा आराज़ीयात की हिफ़ाज़त करने वाले वक़्फ़ बोर्ड के रेकॉर्ड में सिर्फ़ 1650 मुरब्बागज़ ज़मीन इस मस्जिद के तहत बताई गई है।

इस सिलसिले में वक़्फ़ बोर्ड ही बेहतर तौर पर जवाब दे सकता है कि आख़िर इस से इस तारीख़ी मस्जिद के बारे में लग़्ज़िश कैसे हुई। मस्जिद का दौरा करके जब मस्जिद कमेटी के सदर और अरकान से बात की गई

तो पता चला कि इस गावं के गरीब मुसलमान मस्जिद हुसैनी बेगम, उस की 75 एकड़ ज़मीन और क़ब्रिस्तान की हिफ़ाज़त को यक़ीनी बनाने के लिए मुसलसल 5 बरसों से दफ़्तर वक़्फ़ बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं लेकिन किसी मुस्लिम वज़ीर ने उन की दरख़ास्तों पर तवज्जा दी और ना ही वक़्फ़ बोर्ड हरकत में आया।

आप को बतादें कि इस गावं में 800 ता 1000 मकानात में जिस में सिर्फ़ 17 मकानात मुसलमानों के हैं। गावं में दाख़िल होने पर गावं के बिलकुल बीचों बीच ये मस्जिद दिखाई देगी।

बुज़ुर्गों के मुताबिक़ अफ़सोस की बात ये है कि इस मस्जिद के तहत रेकॉर्ड में 75 एकड़ ज़मीन होने के बावजूद इस के लिए कोई ज़राए आमदनी ही नहीं हैं।

इमाम साहब और मोअज्ज़जन साहब की तनख़्वाहें लाईट का बिल और दीगर अख़राजात की पाबजाई बहुत मुश्किल बन गई है। जॉब वक़्फ़ बोर्ड की ये ज़िम्मेदारी है कि इस मस्जिद और उस की ज़मीन और क़ब्रिस्तान के तहफ़्फ़ुज़ पर ख़ुसूसी तवज्जा मर्कूज़ करते हुए जनवाड़ा के मुसलमानों की मदद करे।

इस मस्जिद का वक़्फ़ रेकॉर्ड इस तरह है : गज़ट नंबर 6A, सीरियल नंबर 3137, मौरर्ख़ा 9-2-1989, सफ़ा नंबर 277 और गज़ट नंबर 6A, सीरियल नंबर 3146, सफ़ा नंबर 267।