जन्मदिन विशेष: बिस्मिल सईदी केवल एक नाम नहीं, उर्दू की पहचान है

नई दिल्ली: पूरा नाम सैयद ईसा मियां, तखल्लुस बिस्मिल (6 जनवरी 1902-26 अगस्त 1977 ) राजिस्थान के टोंक में 6 जनवरी 1902 को पैदा हुए. उनके पिता सईद सईदी अहमद जो न केवल एक पेशेवर यूनानी चिकित्सक थे, बल्कि एक विद्वान, उर्दू, फारसी और अरबी के कवि भी थे. उर्दू और फारसी की प्राथमिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की. 1920 में बिस्मिल अलीगढ़ चले गए वहां उन्होंने अंग्रेजी की कुछ जानकारी प्राप्त की और कुछ फारसी किताबें मौलाना असलम जय राजपूरी से पढ़ी. बिस्मिल सईदी टोंक में अधिकारी भी रहे.

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बिस्मिल साहब अपनी स्वतंत्र स्वभाव और अपने कविता की बेबाकी के कारण टोंक में कई बार पड़तारना का शिकार हुए. दो साल बाद बिस्मिल ग्वालियर चले गए यहाँ उन्होंने चिकित्सा की पुस्तकों का नियमित अध्ययन किया. 1946 से बिस्मिल स्थायी रूप से दिल्ली में रहने लगे. उन्हें जाम टोंकी और सीमाब अकबराबादी से तरबियत हासिल थी. उन दिनों दिल्ली से पर्काशित होने वाली पत्रिका “बीसवीं सदी” से भी वह जुड़े. उन्हें गालिब और नेहरू पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
वह इतने महान कवि थे कि सरकार ने उन की शान में उर्दू अकादमी राजस्थान द्वारा अच्छी कविता के लिए वार्षिक बिस्मिल सईदी पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गई है.

भारत सरकार से उन्हें डेढ़ सौ रुपया महाना वज़ीफ़ा मिलता था मगर उनके शौक के आगे कुछ सौ रुपये बिल्कुल अपर्याप्त थे. उनके कलाम के चार संग्रह ” निशाते ग़म”, ” कैफे अलम”, ” मुशाहदात ” और ” औराके ज़िन्दगी” प्रकाशित हो गए हैं. उनका पूरा काम ‘कुल्लियाते बिस्मिल सईदी’ शीर्षक से साहित्य अकादमी द्वारा 2007 में प्रकाशित किया गया था. 26 अगस्त 1977 को दिल्ली में उन का निधन हो गया.