मर्कज़ी मुमलिकती वज़ीर-ए-क़लीयती उमोर मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि मुल्क में जबरी तबदीली मज़हब पर इमतिना से मुताल्लिक़ क़ानून उसी वक़्त वज़ा किया जा सकता है जब तमाम सियासी जमातों में इस मसले पर इत्तिफ़ाक़ राय हो।
उर्दू यूनीवर्सिटी के प्रोग्राम में शिरकत के बाद अख़बारी नुमाइंदों से ग़ैर रस्मी बातचीत में मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि तबदीली मज़हब कोई नया मसला नहीं है ताहम जबरी तबदीली मज़हब के सबब मुल्क में बेचैनी पाई जाती है।
उन्होंने कहा कि मुल्क की कई रियासतों में तबदीली मज़हब की रोक थाम के लिए बाक़ायदा क़ानूनसाज़ी की गई है लेकिन मर्कज़ में इस तरह की क़ानूनसाज़ी के लिए तमाम जमातों में इत्तिफ़ाक़ राय ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि जबरी तबदीली मज़हब जैसी सरगर्मीयों को हुकूमत से मंसूब करना बेबुनियाद है।
उन्होंने बताया कि फ़िर्कावाराना मुनाफ़िरत की किसी भी मुहिम से नरेंद्र मोदी हुकूमत का कोई ताल्लुक़ नहीं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल फ़िर्कापरस्ती के चैंपियन बनने के लिए दोनों तरफ़ से क़ाइदीन की दौड़ जारी है और दोनों तरफ से इश्तिआल अंगेज़ बयानात दिए जा रहे हैं।
हैदराबाद के रुकने पार्लियामेंट के बयान पर तबसरा से इनकार करते हुए मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि किसी भी तरफ से इस तरह की इश्तिआल अंगेज़ी को अवाम पसंद नहीं करते और वही इस का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी गोशा से जारी इस तरह की बयानबाज़ी या फिर सरगर्मीयों का मर्कज़ से कोई ताल्लुक़ नहीं।
जहां भी इस तरह की सरगर्मीयां हूँ मुताल्लिक़ा रियासतों को चाहीए कि वो क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करें। नफ़रतअंगेज़ सरगर्मीयों की रोक थाम में मर्कज़ की नाकामी और वज़ीर-ए-आज़म की ख़ामोशी के बारे में पूछे जाने पर मुख़तार अब्बास नक़वी ने कहा कि वज़ीर-ए-आज़म हाथ में लाठी लेकर तो किसी को रोक नहीं सकते, ला ऐंड आर्डर रियासतों की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने इस बात को दुहराया कि फ़िर्कापरस्त सरगर्मीयों के लिए समाज में कोई जगह नहीं और अवाम इस तरह की ताक़तों को सबक़ सिखाएं गे।