इसराईल ने फ़लस्तीन के तारीख़ी शहर मक़बूज़ा बैत-उल-मुक़द्दस के मर्कज़ी इलाक़े(शहर ) जबल ज़ैतून पर मुस्तक़िल( मुकमिल ) क़बज़े की साज़िश को आगे बढ़ाने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं।
इसराईली कनीसट(पार्लीमैंट) में इंतिहापसंद अराकीन पार्लीमान ने क़ानून वसाया के नाम से एक नया बिल पार्लीमैंट में बेहस केलिए पेश किया है। इस मुसव्वदा क़ानून पर 20 अराकीन(पार्लीमैंट) के दस्तख़त सबुत हैं, जिन का ताल्लुक़ शिद्दत पसंद मज़हबी यहूदी सयासी जमातों से बताया जाता है।
मुसव्वदा क़ानून में सिफ़ारिश के गई है कि हुकूमत बैत-उल-मुक़द्दस में जबल ज़ैतून के इस जाली क़ब्रिस्तान को यहूदीयों का पूरी दुनिया में सब से बड़ा और तारीख़ी क़ब्रिस्तान क़रार दे कर इस का इंतिज़ाम अपने हाथ में ले।मुसव्वदा क़ानून में कहा गया है के इसराईली हुकूमत ने अभी तक जबल ज़ैतून के इस तारीख़ी यहूदी क़ब्रिस्तान का मुस्तक़िल क़बज़ा अपने हाथ में नहीं लिया है
जो के बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था, यहां इतनी बड़ी तादाद में यहूदीयों की क़ब्रें होने के बावजूद ये इलाक़ा( शहर ) बराह-ए-रास्त इसराईल के कंट्रोल में नहीं है। ख़्याल रहे के जबल ज़ैतून मक़बूज़ा बैत-उल-मुक़द्दस का मस्जिद अक्सा के क़रीब वो मुक़ाम है जहां इसराईली हुकूमत और इंतिहापसंद तंज़ीमों ने खु़फ़ीया तरीक़े से हज़ारों जाली क़ब्रें बना रखें हैं। यहूदीयों का दावा है कि इन तमाम क़ब्रों में यहूदी मदफ़ून हैं,लेकिन मुक़ामी आबादी का कहना है कि ईसराईलीयों की तरफ़ से यहां पर रात के अंधेरे में गढ़े खोद कर और ज़मीन के ऊपर क़ब्रों की अलामात बना कर उसे एक क़ब्रिस्तान की शक्ल दी गई है,
वर्ना यहां पर किसी किस्म का कोई क़ब्रिस्तान नहीं था।मुक़ामी शहरीयों का कहना है कि जबल ज़ैतून में इसराईल के जाली यहवी क़ब्रिस्तान का मक़सद मक़बूज़ा बैत-उल-मुक़द्दस को यहोदीत के रंग में रंगना और शहर की तारीख़ी हैसियत को तबाह करना है।