उत्तर प्रदेश: हमे नौकरशाहों के कम ही ऐसे चेहरे देखने को मिलते हैं जिनमें अपने ओहदे से ज्यादा इंसानियत झलकती है. जो अपने पद से ज्यादा अहमियत इंसानियत को देते हैं. कुछ ऐसी ही इबारत मुरादाबाद के डीएम जुहैर बिन सगीर लिख रहे हैं. जो लीक से हटकर लोगों की मदद कर रहे हैं. शुक्रवार शाम चक्कर की मिलक में डीएम जुहैर बिन सगीर अपनी पत्नी के साथ एक अनजान रिक्शा चालाक के घर इफ्तार करने पहुंच गए. उन्होंने सिर्फ इफ्तार ही नहीं किया बल्कि उस परिवार की हर संभव मदद भी की. जिलाधिकारी ने न केवल उसके साथ रोजा अफ्तार किया बल्कि उसके घर में बैठकर उसके हाल-चाल पूछे आर्थिक मदद की और मिठाई, फल, खाने-पीने का सामान और ईद पर पूरे परिवार को नये कपड़े भी दिये.
आज नया गांव निवासी रिक्शा चालक गरीब निजामुद्दीन को नहीं पता था कि वो आज जिसके साथ रोजा इफ्तार कर रहा है वो मुरादाबाद जिले के कलेक्टर जुहैर बिन सगीर हैं और उनके साथ उनकी बेगम हैं. निजामुद्दीन का नया गांव में कच्चा घर है. उनके छह बच्चे है, जिनमें से चार बेटी और दो बेटे हैं. सभी का रोजा चल रहा. जिलाधिकारी ने उसकी बस्ती में जाकर उसके परिवार के साथ जमीन पर बैठकर साधारण आदमी की तरह रोजा इफ्तार किया.
जब डीएम ने पूछा क्या वह उनको जानता है? लेकिन निजामुद्दीन खुश था और आश्चर्यचकित भी कि यह कौन है, जो उसके साथ इतनी आत्मीयता और प्यार के साथ रोजा इफ्तार कर रहा है. उसका जबाब था, मैं आपको नहीं जानता.जिलाधिकारी ने उसकी समस्यायें पूछी और हर प्रकार से उसकी मदद की. आने वाली ईद पर पूरे परिवार को कपड़े दिये और आर्थिक मदद भी ईदी के रूप में दी. बाद में निजामुद्दीन ने जिलाधिकारी की बेगम को पहचान लिया और कहा कि जब मेमसाब ने गरीबों को इमदाद बांटी थी तो उसका परिवार भी इमदाद लेने गया था.
उल्लेखनीय है कि ईद का त्यौहार खुशियों का त्यौहार है गरीबों की मदद करने से खुशियों बढ़ती है और गरीबों का कल्याण होता है. निजामुद्दीन को रोजा इफ्तार के बाद पता चला कि वह जिले के डीएम है. यह सुनकर उसकी आंखे छलक आयी. वह खुशी से गद-गद हो गया.
http://hindi.pradesh18.com/