जब पत्रकारों पर हमला किया जाता है तो पूरा समाज इसकी कीमत चुकाता है- UN चीफ़

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि दुनियाभर में पत्रकारों की उनके काम करने की वजह से हत्या करने के मामले ‘घृणित’ हैं और इसे ‘नया सामान्य’ घटनाक्रम नहीं बनने देना चाहिए।

YouTube video

गौरतलब है कि बीते एक दशक से अधिक समय में, खबरें देने का काम करते समय लगभग 1,010 पत्रकार मारे गए हैं, और 10 मामलों में से नौ मामलों में, अपराधियों को कभी न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा सका है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अकेले साल 2018 में ही कम से कम 88 पत्रकार मारे गए हैं।
YouTube video

गुतारेस ने द इंटरनेशनल डे टू ऐंड इम्प्यूनिटी फॉर क्राइम्स अगेंस्ट जर्नलिस्ट्स के सालाना जलसे के मौके पर दिए जारी वीडियो संदेश में कहा, ‘हजारों लोगों को हमले का शिकार, उत्पीडि़त या फर्जी आरोप लगा कर बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए हिरासत या जेल में डाल दिया गया है। यह दिवस दो नवम्बर को मनाया जाता है।

महासचिव ने ‘धमकी और भय के बावजूद हर रोज अपनी नौकरियां करने वाले’ संवाददाताओं को शुक्रिया अदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि ‘पत्रकारों की रक्षा की जाए और उनके काम करने की आवश्यक शर्तों का निर्माण हो।

इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर अवसर, संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) नौकरी के दौरान पत्रकारों के मारे जाने के मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने के लिए एक पहल शुरू कर रहा है। इस पहला का नाम ‘सच कभी मरता नहीं’ दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, ‘सचाई कभी नहीं मरती और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी।’ वह इस बात पर प्रकाश डाल रहे थे कि जब पत्रकारों पर हमला किया जाता है तो ‘पूरा समाज इसकी कीमत चुकाता है।