राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन सवाल-जवाब सत्र में मोहन भागवत से पूछा गया कि श्मशान, कब्रिस्तान और भगवा आतंकवाद जैसी सियासत का क्या हल है? इसका जवाब देते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जब राजनीति केवल सत्ता के लिए होगी तो श्मशान, कब्रिस्तान होंगे।
महात्मा गांधी और लोकनायक जय प्रकाश नारायण के अनुसार लोक कल्याण वाली राजनीति होगी तो श्मशान, कब्रिस्तान और भगवा आतंकवाद वाली सियासत समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राजनीति का मकसद लोक-कल्याण होना चाहिए और सत्ता महज इसका माध्यम है।
उनका यह जवाब कई मायनों में अहम है. इसको बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी दलों के लिए नसीहत के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले फरवरी 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान इन शब्दों का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में किया था।
उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिलेश यादव सरकार पर धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, ”यदि आप किसी गांव में कब्रिस्तान बनाएंगे तो आपका वहां श्मशान भी बनाना चाहिए।
यदि रमजान के दौरान अबाध बिजली दी जाती है तो बिना किसी रुकावट के दीवाली पर भी बिजली आनी चाहिए। इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।