जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद श्रीनगर के कई हिस्सों में लगी धारा 144, 12 से अधिक सदस्य गिरफ्तार

जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध के बाद अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों की धरपकड़ के लिए गुरुवार की रात छापेमारी की गई। दक्षिणी कश्मीर के कई स्थानों पर छापे मारकर सुरक्षाबलों ने संगठन से जुड़े दो दर्जन से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। कार्रवाई के डर से पूरी घाटी में जमात-ए-इस्लामी के कार्यालयों पर लगे बोर्ड संगठन की ओर से उतार दिए गए।

संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाये जाने के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर अधिकारियों ने शुक्रवार को एहतियातन श्रीनगर के कई हिस्सों में निषेधाज्ञा लगा दी। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर के पांच पुलिस थाना अंतर्गत इलाकों में निषेधाज्ञा लगाई गई है। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत शहर के नौहट्टा, खानयार, रैनावारी, एमआर गंज और सफाकदल पुलिस थाना अंतर्गत इलाके में निषेधाज्ञा लगाई गई है।

केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को संगठन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई। इसके बाद देर रात दक्षिणी कश्मीर के त्राल इलाके के लारिबल, पिंगलिश, डडसारा, पन्नेर, मंदूरा तथा लुरगाम में सुरक्षा बलों ने छापा मारकर सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें त्राल व अवंतीपोरा से 11 तथा अनंतनाग से आठ लोगों की गिरफ्तारियां शामिल हैं।

बांदीपोरा जिले के अजास इलाके में जमात की ओर से संचालित एक निजी स्कूल को सील कर दिया। हालांकि, बाद में इस स्कूल से सील हटा दिया गया। अनंतनाग में जमात के बोर्ड शुक्रवार को नहीं दिखे।

ज्ञात हो कि 22 फरवरी की रात को पूरी घाटी में सुरक्षाबलों ने छापेमारी कर 150 से अधिक अलगाववादियों और पत्थरबाजों को हिरासत में लिया था। इनमें ज्यादातर जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए थे, जिनमें संगठन के राज्य प्रमुख अब्दुल हमीद फयाज भी शामिल थे। संगठन ने दावा किया था कि छापेमारी में अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फयाज और वकील (प्रवक्ता) जाहिद अली को गिरफ्तार किया गया था।

बताते हैं कि जमात-ए-इस्लामी पर पहली बार बड़ी कार्रवाई हुई थी। संगठन पूर्व में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। हालांकि, उसने हमेशा खुद को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताया।

महबूबा ने फिर छापेमारी व गिरफ्तारी की निंदा की
पूर्व मुख्यमंत्री तथा पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर जमात-ए-इस्लामी सदस्यों की गिरफ्तारी की निंदा की है। ट्वीट किया कि लोकतंत्र विचारों का संघर्ष है। प्रतिबंध के बाद जमात सदस्यों की गिरफ्तारी निंदनीय है। यह भारत सरकार का राजनीतिक मसले को बलपूर्वक हल करने का एक और उदाहरण है। इससे पहले 22 फरवरी को उन्होंने कहा था कि आप एक व्यक्ति को हिरासत में रख सकते हैं लेकिन उसके विचारों को नहीं। हुर्रियत (एम) प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने भी कहा था कि बल प्रयोग और डराने से स्थिति केवल खराब ही होगी।